लखनऊ : अन्य राज्यों की तरह अब उप्र में भी विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा। राज्य विधि आयोग ने इसका मसौदा तैयार किया है। आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएन मित्तल ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है, जिस पर विचार के बाद सरकार अधिनियम लागू करेगी।
आयोग
ने विवाह पंजीकरण का प्रोफार्मा भी तैयार किया है, जिसके तहत गलत अथवा
झूठी सूचनाएं देने वालों के लिए दो साल तक की सजा व 10 हजार रुपये तक
जुर्माने की अहम सिफारिश भी शामिल है। साथ ही आनलाइन पंजीकरण प्रणाली लागू
किए जाने व विवाह पंजीकरण से जुड़ी सभी सूचनाएं वेब पोर्टल पर उपलब्ध कराने
की सिफारिश की है।
आयोग के मसौदे में शादी के
बाद विदेश जाने के इच्छुक लोगों के लिए तत्काल पंजीकरण की व्यवस्था किए
जाने की बात भी कही गई है। वर्तमान में राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा,
पंजाब, मेघायलय, तमिलनाडु, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली व उत्तराखंड में विवाह
के अनिवार्य पंजीकरण को लेकर कानून बन चुका है। आयोग ने प्रदेश में मैरिज
आफिसर की व्यवस्था किए जाने की बात भी कही है। सूबे में इसे लेकर कानून
लागू होने के बाद सभी धर्म के लोगों को एक माह के भीतर विवाह का पंजीकरण
कराना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने वालों पर 10 हजार रुपये तक जुर्माने का भी
प्रावधान होगा।
अभी लागू है नियमावली: राज्य
सरकार ने वर्ष 2017 में विवाह पंजीकरण को लेकर एक नियमावली लागू की थी।
महिला बाल विकास विभाग को नियमावली के तहत पंजीकरण कराने के निर्देश दिए गए
थे। नियमावली के तहत विवाह पंजीकरण के लिए 50 रुपये शुल्क व लेट फीस का
प्रावधान किया गया था।
एनआरआइ के लिए भी होगी
सख्ती : आयोग ने अप्रवासी भारतीय (एनआरआइ) के लिए शादी करने से पूर्व अपना
पूरा ब्योरा देने की व्यवस्था किए जाने की बात कही है। खासकर यह बताना होगा
कि वह पहले से शादीशुदा है अथवा नहीं।
साल तक की सजा की सिफारिश की है तथ्यों को छिपाने वालों के लिए
कानून
लागू होने के बाद हर किसी को विवाह का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
लेकिन, पंजीकरण न होने के आधार पर कोई विवाह अवैध अथवा अमान्य नहीं होगा।
सूबे में यह कानून लागू होने की तिथि से पूर्व संपन्न हुए विवाह का पंजीकरण
संबंधित व्यक्तियों पर निर्भर करेगा। उनके लिए कोई बाध्यता न होने की
सिफारिश भी की गई है।
-सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एएन मित्तल अध्यक्ष राज्य विधि आयोग
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