11 February, 2014

शिक्षा मित्रों के लिए 62 वर्ष तक मौका

लखनऊ। राज्य सरकार शिक्षा मित्रों के समायोजन पर पूरी उदारता बरतने के मूड में है। पत्राचार बीटीसी पास करने में यदि उनकी उम्र 62 वर्ष हो जाए तो भी समायोजित करने का विचार है। चाहे वे चंद माह की नौकरी करने के बाद रिटायर ही क्यों न हो जाएं। उच्च स्तर पर रविवार को हुई बैठक में इन सब मुद्दों पर विचार हुआ। यह बात भी सामने आई कि यदि केंद्र सरकार उनके समायोजन के बाद वेतन का पैसा नहीं देती है तो राज्य सरकार इसका खर्च उठाएगी। समायोजन के लिए प्रस्तावित उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद (शिक्षा सहायक) नियमावली 2014 का भी अध्ययन किया गया। पुरुष शिक्षा मित्रों को शिक्षा सहायक और महिला शिक्षा मित्रों को शिक्षा सहायिका का नाम प्रस्तावित किया गया है। बेसिक शिक्षा परिषद के प्राइमरी स्कूलों में 1.70 लाख शिक्षा मित्र शिक्षकों के सहयोग के लिए संविदा के आधार पर लगाए गए हैं। राज्य सरकार इन्हें दो वर्षीय पत्राचार बीटीसी का प्रशिक्षण देकर समायोजित करना चाहती है। इसका निर्णय भी कैबिनेट बैठक में हो चुका है। सरकार चाहती है कि इनके समायोजन में टीईटी बाधा न बने, इसलिए अलग से रास्ता तलाशा जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए अलग से नियमावली का प्रारूप तैयार किया है। इसमें स्नातक शिक्षा मित्रों को प्रशिक्षण के बाद समायोजित करने का प्रस्ताव है। समायोजन के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) प्राचार्य की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी इसका सदस्य सचिव तथा जिले के राजकीय इंटर कॉलेज का प्रधानाचार्य सदस्य होगा। सामान्य बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी या उर्दू बीटीसी का प्रशिक्षण पाने वाले शिक्षा मित्रों को प्राथमिकता दी जाएगी। उप्र प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के अध्यक्ष गाजी इमाम आला व मंत्री अनिल यादव का दावा है कि दो-तीन दिन में उनके समायोजन का आदेश जारी करने की तैयारी है।
कैसे मिलेगा 62 वर्ष का लाभ
प्रदेश में वर्ष 2000 से शिक्षा मित्र रखने की प्रक्रिया शुरू हुई और 2009 में बंद हो गई। इन्हें रखने की योग्यता इंटर व 18 से 35 वर्ष की आयु सीमा रखी गई। आरक्षित वर्ग, नि:शक्त व विधवा महिलाओं को आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट दी गई थी। राज्य सरकार ने स्नातक व दो वर्षीय पत्राचार बीटीसी करने वालों को ही समायोजित करने का निर्णय किया है। प्रदेश में करीब 46 हजार शिक्षा मित्र इंटर पास हैं। इसलिए यदि दो वर्षीय प्रशिक्षण के साथ तीन वर्ष का स्नातक किया तो पांच वर्ष कम से कम लग जाएंगे। ऐसी स्थिति में यदि उनका चयन 2000 में हुआ होगा तो उनकी आयु सीमा अधिक हो जाएगी। इसलिए यह विचार हो रहा है कि 62 वर्ष तक की आयु वालों को भी मौका दिया जाए।

News- Dainik Jagran

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