05 February, 2014

माध्यमिक शिक्षा के हवाले हुआ इंस्पायर अवॉर्ड

स्कूली शिक्षा में विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई इंस्पायर अवॉर्ड योजना कराने की जिम्मेदारी माध्यमिक शिक्षा परिषद को दे दी है।

पहले यह जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के पास थी। प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा जितेंद्र कुमार ने इस संबंध में शासनादेश जारी कर दिया है।

उन्होंने कहा है कि अब इस योजना का सारा दायित्व माध्यमिक शिक्षा विभाग के निदेशक निभाएंगे। एससीईआरटी को इस योजना को जिम्मेदारी दी गई थी।

लेकिन बीटीसी कोर्स कराने के साथ परिषदीय स्कूलों में चलने वाले कोर्स में संशोधनों व निजी बीटीसी कॉलेजों को प्रशिक्षण देने जैसे उसके पास कई काम हैं।

इसके चलते वह इंस्पायर अवॉर्ड का दायित्व बेहतर ढंग से नहीं निभा पा रहा था। एससीईआरटी के निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने खुद इस काम को वहां से हटाने का अनुरोध किया था।

कम नहीं इंस्पायर अवॉर्ड की जिम्मेदारियां
केंद्र सरकार की इस योजना के तहत विज्ञान में रुचि रखने वाले कक्षा 6 से 10 तक के छात्र-छात्राओं को 5000-5000 रुपये मॉडल बनाने के लिए दिए जाते हैं।

इंस्पायर अवॉर्ड के लिए छात्र-छात्राओं का चयन जिला स्तर पर किया जाता है। हर मान्यता प्राप्त शैक्षिक संस्थाओं के प्रिंसिपल बेसिक के 6 से 8 तक की कक्षाओं के तीन छात्र-छात्राओं का चयन करते हुए बीएसए को सूची भेजते हैं।

इसी तरह 9 व 10 के छात्र-छात्राओं का नाम डीआईओएस को भेजे जाते हैं। अवॉर्ड के लिए चयनित होने वाले छात्र-छात्रा विज्ञान के प्रोजेक्ट व मॉडल बनाते हैं।

पहले जिला स्तर, फिर मंडल स्तर और इसके बाद राज्य स्तर की प्रदर्शनी में लगाया जाता है। राज्य स्तर पर पुरस्कृत होने वाले मॉडल को राष्ट्रीय प्रदर्शनी में शामिल होने का मौका दिया जाता है।

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