केस 1- प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती-2011 के लिए राकेश कुमार ने 50 जिलों
से आवेदन किया था। मेरिट सूची जारी हुई तो 50 में से 46 आवेदनों में किसी न
किसी तरह की गड़बड़ी थी।
राकेश का दावा है कि उनके आवेदन पत्र में कोई कमी नहीं थी। अब मजबूरी में हर जगह गलती सुधरवाने के लिए प्रत्यावेदन भेजने में उन्हें करीब 2500 रुपये खर्च करने पड़े।
केस 2- सौरव कुमार ने प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए वर्ष 2011 में 44 जिलों से आवेदन किया था। चार जगह से उनका आवेदन वापस आ गया था।
छह जिलों में उनका नाम नहीं दिख रहा। बाकी बचे 34 जिलों में कोई न कोई गड़बड़ी है। ऐसे में उन्हें 40 जगह प्रत्यावेदन भेजना पड़ रहा है। इसमें दो हजार रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा।
अपने तर्क के पक्ष में वे आवेदन फॉर्म की फोटो कॉपी दिखाते हैं, जिसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं है। इसके बावजूद फॉर्म की गलत फीडिंग की वजह से उन्हें अपना प्रत्यावेदन भेजना पड़ रहा है। एक प्रत्यावेदन भेजने में अभ्यर्थियों को औसतन 54-55 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
अभ्यर्थियों ने चूंकि कई-कई जिलों से आवेदन कर रखा है, ऐसे में एक-एक अभ्यर्थी को 2000 से 2500 रुपये की चपत लग रही है। प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए पूरे प्रदेश में 69 लाख आवेदन फॉर्म आए थे।
मेरिट सूची में इनमें ज्यादातर में गड़बड़ियां हैं। अगर 50 लाख प्रत्यावेदन भी भेजे गए तो अभ्यर्थियों को 25 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगेगी।

बेसिक शिक्षा बोर्ड की वेबसाइट न खुलने के कारण पहले चार दिनों तक अपनी मेरिट देखने के लिए परेशान रहे अभ्यर्थियों को अब डाकघरों मे धक्के खाने पड़ रहे हैं। सबसे बड़ी मुसीबत बेरोजगारी में प्रत्यावेदन भेजने के लिए पैसे की व्यवस्था करना है।
एक प्रत्यावेदन भेजने के लिए अभ्यर्थी को सबसे पहले संशोधन फॉर्म वेबसाइट से डाउनलोड करना होता है। साइबर कैफे में इसके लिए आम तौर पर 10 रुपये वसूले जा रहे हैं। प्रत्यावेदन के साथ अभ्यर्थियों को हाईस्कूल के प्रमाणपत्र, फोटो आईडी और टीईटी के प्रमाणपत्र की फोटो कॉपी भी भेजनी है, इसमें तीन रुपये का खर्च आ रहा है।
इन कागजात को भेजने के लिए लिफाफा भी दो रुपये से कम का नहीं मिल रहा है। अभ्यर्थियों को 15 जुलाई से पहले अपना प्रत्यावेदन किसी भी सूरत में संबंधित डायट पर पहुंचाना है। ऐसे में वे स्पीड पोस्ट से प्रत्यावेदन भेज रहे हैं।
लिफाफे का भार ज्यादा होने के कारण स्पीड पोस्ट से प्रत्यावेदन भेजने पर 39 रुपये का डाक टिकट लगाना पड़ रहा है। इस तरह एक प्रत्यावेदन पर कम से कम 54 रुपये खर्च आ रहा है। नौकरी का सवाल है, इसलिए एक-एक अभ्यर्थी प्रत्यावेदन भेजने में दो-दो हजार रुपये खर्च कर रहा है।
भर्ती को लेकर हो रही गड़बड़ी पर एक अभ्यर्थी सुमित सक्सेना का कहना है कि मेरिट सूची में गड़बड़ी फीडिंग की वजह से हुई है। हमारी गलती नहीं है, इसके बावजूद हमें प्रत्यावेदन भेजना पड़ रहा है।
बेरोजगारी में पैसे की व्यवस्था करना काफी मुश्किल है। सरकार को इस बात को समझना चाहिए था।
वहीं इस मामले पर एससीईआरटी सर्वेंद्र वीर विक्रम बहादुर सिंह का कहना है कि गड़बड़ी कैसे हुई, बताना मुश्किल है।
शिक्षक भर्ती के लिए गड़बड़ियां दुरुस्त कराना जरूरी है, इसलिए अभ्यर्थियों से प्रत्यावेदन मांगा गया है। प्रत्यावेदन मांगे बिना गड़बड़ी सही करवाने का कोई विकल्प नहीं है।
News Source-Amar Ujala
राकेश का दावा है कि उनके आवेदन पत्र में कोई कमी नहीं थी। अब मजबूरी में हर जगह गलती सुधरवाने के लिए प्रत्यावेदन भेजने में उन्हें करीब 2500 रुपये खर्च करने पड़े।
केस 2- सौरव कुमार ने प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए वर्ष 2011 में 44 जिलों से आवेदन किया था। चार जगह से उनका आवेदन वापस आ गया था।
छह जिलों में उनका नाम नहीं दिख रहा। बाकी बचे 34 जिलों में कोई न कोई गड़बड़ी है। ऐसे में उन्हें 40 जगह प्रत्यावेदन भेजना पड़ रहा है। इसमें दो हजार रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा।
पूरे प्रदेश से आए 69 लाख आवेदन
राकेश और सौरव ही नहीं, टीईटी शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने वाले ज्यादातर अभ्यर्थियों का यही हाल है। इन अभ्यर्थियों का दावा है कि आवेदन करते समय उन्होंने कोई गलती नहीं की थी।अपने तर्क के पक्ष में वे आवेदन फॉर्म की फोटो कॉपी दिखाते हैं, जिसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं है। इसके बावजूद फॉर्म की गलत फीडिंग की वजह से उन्हें अपना प्रत्यावेदन भेजना पड़ रहा है। एक प्रत्यावेदन भेजने में अभ्यर्थियों को औसतन 54-55 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं।
अभ्यर्थियों ने चूंकि कई-कई जिलों से आवेदन कर रखा है, ऐसे में एक-एक अभ्यर्थी को 2000 से 2500 रुपये की चपत लग रही है। प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए पूरे प्रदेश में 69 लाख आवेदन फॉर्म आए थे।
मेरिट सूची में इनमें ज्यादातर में गड़बड़ियां हैं। अगर 50 लाख प्रत्यावेदन भी भेजे गए तो अभ्यर्थियों को 25 करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगेगी।

इस तरह के खर्च कर रहे हैं अभ्यर्थी
बेसिक शिक्षा बोर्ड की वेबसाइट न खुलने के कारण पहले चार दिनों तक अपनी मेरिट देखने के लिए परेशान रहे अभ्यर्थियों को अब डाकघरों मे धक्के खाने पड़ रहे हैं। सबसे बड़ी मुसीबत बेरोजगारी में प्रत्यावेदन भेजने के लिए पैसे की व्यवस्था करना है।
एक प्रत्यावेदन भेजने के लिए अभ्यर्थी को सबसे पहले संशोधन फॉर्म वेबसाइट से डाउनलोड करना होता है। साइबर कैफे में इसके लिए आम तौर पर 10 रुपये वसूले जा रहे हैं। प्रत्यावेदन के साथ अभ्यर्थियों को हाईस्कूल के प्रमाणपत्र, फोटो आईडी और टीईटी के प्रमाणपत्र की फोटो कॉपी भी भेजनी है, इसमें तीन रुपये का खर्च आ रहा है।
इन कागजात को भेजने के लिए लिफाफा भी दो रुपये से कम का नहीं मिल रहा है। अभ्यर्थियों को 15 जुलाई से पहले अपना प्रत्यावेदन किसी भी सूरत में संबंधित डायट पर पहुंचाना है। ऐसे में वे स्पीड पोस्ट से प्रत्यावेदन भेज रहे हैं।
लिफाफे का भार ज्यादा होने के कारण स्पीड पोस्ट से प्रत्यावेदन भेजने पर 39 रुपये का डाक टिकट लगाना पड़ रहा है। इस तरह एक प्रत्यावेदन पर कम से कम 54 रुपये खर्च आ रहा है। नौकरी का सवाल है, इसलिए एक-एक अभ्यर्थी प्रत्यावेदन भेजने में दो-दो हजार रुपये खर्च कर रहा है।
फीडिंग में हुईं गलतियां
भर्ती को लेकर हो रही गड़बड़ी पर एक अभ्यर्थी सुमित सक्सेना का कहना है कि मेरिट सूची में गड़बड़ी फीडिंग की वजह से हुई है। हमारी गलती नहीं है, इसके बावजूद हमें प्रत्यावेदन भेजना पड़ रहा है।
बेरोजगारी में पैसे की व्यवस्था करना काफी मुश्किल है। सरकार को इस बात को समझना चाहिए था।
वहीं इस मामले पर एससीईआरटी सर्वेंद्र वीर विक्रम बहादुर सिंह का कहना है कि गड़बड़ी कैसे हुई, बताना मुश्किल है।
शिक्षक भर्ती के लिए गड़बड़ियां दुरुस्त कराना जरूरी है, इसलिए अभ्यर्थियों से प्रत्यावेदन मांगा गया है। प्रत्यावेदन मांगे बिना गड़बड़ी सही करवाने का कोई विकल्प नहीं है।
News Source-Amar Ujala
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