लखनऊ। राज्य सरकार ने पहले चरण में भले ही 58,826
शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर दिया हो, पर उनका
वेतन जांच के नाम पर फंस गया है। बेसिक शिक्षा अधिकारी दो महीने बाद भी
समायोजित होने वाले शिक्षा मित्रों के प्रमाण पत्रों की जांच अभी तक नहीं
करा सके हैं। हालांकि मिर्जापुर ही एक मात्र ऐसा जिला है, जहां समायोजित
होने वाली एक शिक्षा मित्र को वेतन का भुगतान किया जा रहा है। जबकि जांच
पूरी न हो पाने की वजह से सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित होने वाले
58,825 शिक्षा मित्रों को न तो वेतन मिल रहा है और न ही मानदेय।
प्रदेश
के प्राइमरी स्कूलों में 1.70 लाख शिक्षा मित्र बच्चों को पढ़ाने के लिए
लगाए गए हैं। राज्य सरकार इन्हें दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय
बीटीसी कोर्स कराकर सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित कर रही है। इसमें से
पहले चरण में 58,826 शिक्षा मित्रों को 31 जुलाई 2014 तक समायोजित किया जा
चुका है। सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित होने वाले इन शिक्षा मित्रों को
नियमत: एक महीने बाद वेतन देने की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। दूसरा माह
पूरा होने जा रहा है पर इनके प्रमाण पत्रों की अभी तक जांच भी नहीं हो पाई
है। नतीजतन उन्हें वेतन नहीं मिल पा रहा है। उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी
शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल कुमार यादव ने रविवार को बेसिक शिक्षा
मंत्री को ज्ञापन देकर समायोजित होने वालों को वेतन दिलाने की मांग की है।
जल्द मिलेगा वेतन
बेसिक
शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी ने बेसिक शिक्षा निदेशक डीबी शर्मा को
निर्देश दिया है कि सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित होने वाले शिक्षा
मित्रों को वेतन देने की प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जाए।
News Source- Amar Ujala
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