इलाहाबाद : अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू के टीईटी अभ्यर्थियों का धैर्य अब
जवाब दे गया है। सरकार की उपेक्षापूर्ण नीति के खिलाफ मंगलवार को शिक्षा
निदेशालय पर प्रदेश भर से आए अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन कर अपने आक्रोश का
इजहार किया। भर्ती का विज्ञापन न निकलने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए अपनी
उपेक्षा व भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।1अभ्यर्थियों ने कहा कि
सरकार मंत्रियों-अफसरों से झूठा आश्वासन दिलाकर मामला लटकाए हुए है, जिसे
अधिक दिनों तक बर्दास्त नहीं किया जाएगा। अतिशीघ्र उचित कार्रवाई न होने पर
अभ्यर्थियों ने 19 सितंबर को शिक्षा निदेशालय का पुन: घेराव कर उग्र
प्रदर्शन करने का एलान किया। नेतृत्व कर रहे अमित यादव ने कहा कि प्रदेश
में भाषा शिक्षकों की भारी कमी है। बावजूद इसके सरकार उचित कदम नहीं उठा
रही है। पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के लिए TET अंग्रेजी, संस्कृत व उर्दू
की परीक्षा कराई गई। इसमें 60 हजार के लगभग अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए, मेरिट
के आधार पर 21 हजार भर्ती का प्रस्ताव बनाया जिसका विज्ञापन अभी तक नहीं
निकला है। बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने अगस्त में भर्ती का
आश्वासन दिया था, परंतु अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। प्रदर्शन के दौरान
सभा में सरकार को घेरने के लिए हर जिला में धरना, प्रदर्शन व हस्ताक्षर
अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। विकास चंद्र यादव, प्रवीण, उपेंद्र
तिवारी, नीरज, सुनील, जयप्रकाश, वीपी सिंह, आलोक ने विचार व्यक्त किए।जागरण
संवाददाता, इलाहाबाद : प्रदेश सरकार प्राथमिक और जूनियर स्कूलों में
शिक्षकों की भर्ती के लिए अर्ह अभ्यर्थियों को खोज रही है। वहीं
शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिलाकर भर्ती करा रही है, लेकिन जिन
अभ्यर्थियों ने सारी औपचारिकताएं पूरी कर रखी हैं, उनकी ओर किसी का ध्यान
नहीं है। विशिष्ट बीटीसी एवं बीटीसी प्रशिक्षु दर-दर भटक रहे हैं, उनका
भर्ती विज्ञापन नहीं निकाला जा सका है। इससे आहत प्रशिक्षुओं ने मंगलवार को
शिक्षा निदेशालय में प्रदर्शन किया व सचिव कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर
चेताया कि हीलाहवाली हुई तो 18 सितंबर को लखनऊ में प्रदर्शन करेंगे। वर्ष
2007-08 में विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त, बीटीसी-2004 और उर्दू
बीटीसी-2006 के अभ्यर्थियों ने डॉयटों से प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
प्रशिक्षण 2011-12 में ही पूरा कर चुके प्रशिक्षुओं की नौकरी का पेंच उस
समय फंस गया जब अभ्यर्थियों को विभागीय परीक्षा के साथ टीईटी परीक्षा पास
करने का निर्देश सुनाया गया। ऐसे में अधिकांश अभ्यर्थियों ने 2014 की टीईटी
परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। सारी अर्हताएं पूरी करने के बाद से अभ्यर्थी
नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाले जाने का दबाव बना रहे हैं। दो अगस्त को
अभ्यर्थियों ने शिक्षा निदेशालय में इस हेतु प्रदर्शन किया था, सचिव बेसिक
शिक्षा परिषद संजय सिन्हा ने सितंबर तक विज्ञापन जारी करने का आश्वासन दिया
था। निरंतर विलंब होने पर नौ सितंबर को फिर निदेशालय में प्रदर्शन किया।
उस समय भी जल्द विज्ञापन जारी होने का आश्वासन मिला था। बताते हैं कि बेसिक
शिक्षा परिषद के सचिव ने इस संबंध में शासन को 15 हजार अभ्यर्थियों की
भर्ती का प्रस्ताव भी भेजा था, लेकिन निरंतर विलंब हो रहा है। यह भी कहा जा
रहा है कि शासन ने विज्ञापन जारी करने से मना कर दिया है। ऐसे में
जितेंद्र सिंह एवं साहबलाल के नेतृत्व में अभ्यर्थियों ने शिक्षा निदेशालय
पर प्रदर्शन किया।
समिति के संग खड़ा हुआ मोर्चा
इलाहाबाद : प्रदेश के प्राथमिक एवं जूनियर स्कूलों में शिक्षकों की
भर्ती में जिस तरह शिक्षा विभाग काउंसिलिंग में छानबीन कर रहा है, ठीक वैसे
ही शिक्षक बनने के दावेदार भी अर्हता रखने वालों को ही मौका दिए जाने को
लेकर खासे गंभीर हो गए हैं। राज्य स्तरीय समस्या निवारण समिति ने एससीईआरटी
को जो सुझाव दिए हैं उन्हें कोई खारिज न करा पाए इसलिए टीईटी संघर्ष
मोर्चा ने हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल किया है। प्राथमिक स्कूलों में इन
दिनों 72825 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए काउंसिलिंग चल रही है। इसके पहले
चरण के दौरान ही तमाम तरह के मामले सामने आये। उन मामलों को संकलित करके
राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने राज्य स्तरीय
समस्या निवारण समिति को भेजा था, ताकि सुझावों पर अमल किया जा सकें। वैसे
तो तमाम बिंदुओं पर समिति ने रिपोर्ट दी है, लेकिन सामान्य वर्ग के लिए
स्नातक परीक्षा में 45 प्रतिशत एवं आरक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत के अर्ह
होने का मामला खासा चर्चा में है। दरअसल टीईटी पास ऐसे अभ्यर्थियों की
संख्या हजारों में है जो स्नातक में तो 45 फीसदी अंक हासिल नहीं कर पाए,
लेकिन परास्नातक योग्यता के आधार पर बीएड किए हुए हैं, उन्हें समिति ने
अर्ह नहीं माना है। समिति के इस सुझाव पर अमल के लिए एससीईआरटी ने सभी
जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को भेज दिया है, ताकि दूसरे चरण में
यह समस्या न आने पाए। इसी बीच टीईटी संघर्ष मोर्चा के संजीव मिश्र ने
मंगलवार को हाईकोर्ट में कैविएट दाखिल की है कि यदि समिति के सुझाव को कोई
टीईटी अभ्यर्थी चुनौती दे तो उन्हें भी सुना जाए। संजीव का कहना है कि जो
सुझाव समिति ने दिया है वही अर्हता टीईटी 2011 के भर्ती के समय भी थी।
इसलिए इसमें कोई फेरबदल नहीं हो अन्यथा हजारों अभ्यर्थियों का नुकसान होगा।
News Source-Dainik Jagran
0 comments:
Post a Comment