
प्रदेश
के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने की योग्यता स्नातक व बीटीसी है। इसलिए
निजी क्षेत्र में बीटीसी कॉलेज धड़ाधड़ खुल रहे हैं। शासन ने विगत वर्ष
निजी कॉलेजों को बीटीसी की संबद्धता देने के लिए रोस्टर जारी किया था। इसके
मुताबिक जून में आवेदन के बाद अगस्त तक संबद्धता देने की प्रक्रिया पूरी
कर ली जाएगी। पर, संबद्धता देने के लिए रोस्टर का पालन नहीं हो पा रहा है।
एनसीटीई से मान्यता मिलने के बाद कॉलेज प्रबंधन संबद्धता लेने के लिए तुरंत
आवेदन कर देता है।
इसलिए एससीईआरटी चाहता
है कि एनसीटीई जिस सत्र के लिए मान्यता दे उसी सत्र में कॉलेजों को बीटीसी
कोर्स चलाने के लिए संबद्धता दे दी जाए। इसी तरह संबद्धता की प्रक्रिया
पूरी होने के बाद इससे जुड़े सभी कागजात सचिव परीक्षा नियामक प्राधि
प्रदेश
में बीटीसी का सत्र नियमित नहीं है। हर साल सत्र लेट हो जाता है। नियमत:
अगस्त के आखिरी सप्ताह तक सत्र शुरू हो जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा
रहा है। सत्र 2014-15 के लिए अब भी दाखिले की प्रक्रिया चल रही है।
एससीईआरटी की जानकारी के मुताबिक इस समय 6000 से अधिक सीटें खाली हैं।
कारी के
यहां भेज दिए जाएं। बीटीसी कॉलेजों पर सीधी निगरानी सचिव परीक्षा नियामक
प्राधिकारी रखता है और बीटीसी में दाखिले के साथ परीक्षा भी वही कराता है।
इसलिए निजी कॉलेज प्रबंधन को इससे आसानी भी होगी।
सत्र नियमित करने पर जोर
मुफ्त की जमीन पर स्कूल चलाने वालों की बनेगी सूची, मनमानी पर लगेगी रोक
लखनऊ
(ब्यूरो)। सूबे में मुफ्त या फिर छूट की जमीन पर निजी स्कूल चलाने वालों
का नए सिरे से सूची बनाई जाएगी। जिला विद्यालय निरीक्षकों से ऐसे स्कूलों
का ब्यौरा मांगा गया है। उनसे पूछा गया है कि उनके जिलों में ऐसे कितने
स्कूल हैं, जो ग्राम समाज से मिली मुफ्त जमीन पर चल रहे हैं और ऐसे कितने
हैं, जिन्हें छूट पर जमीन दी गई है।
प्रदेश
में निजी स्कूल खोलने के लिए बेसिक या फिर माध्यमिक शिक्षा परिषद से
मान्यता लेना अनिवार्य है। स्कूल संचालकों को ग्राम समाज की जमीनें मुफ्त
दे दी जाती है या फिर प्राधिकरण की जमीन लेने पर छूट मिलती है। हालांकि
जमीन इस शर्त के साथ दी जाती है कि निजी स्कूल संचालक गरीब बच्चों को 25
फीसदी सीटों पर मुफ्त प्रवेश देंगे और सरकारी योजनाओं को अपने यहां लागू
करेंगे। इसके बावजूद अधिकतर निजी स्कूलों की यह शिकायतें मिलती रहती हैं कि
वे शर्तों का पालन नहीं करते हैं। इसलिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ऐसे
स्कूलों की सूची तैयार करा रहा है, जिससे उनके यहां सरकारी योजनाओं का
कड़ाई से पालन कराया जा सके।
News Source - Amar Ujala
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