04 April, 2015

मुकदमों को सुलझाने के लिए सरकार अब लेखपालों, शिक्षकों, ग्रामीण चौकीदारों समेत तमाम लोगों का लेगी सहयोग

केस सुलझाने में लेखपालों व शिक्षकों की लेंगे मदद
मुकदमों को सुलझाने के लिए सरकार अब लेखपालों, शिक्षकों, ग्रामीण चौकीदारों समेत तमाम लोगों का सहयोग लेगी। इनकी जिलों में दूर तक पहुंच क ी वजह से इन्हें राष्ट्रीय लोक अदालत में लोगों को अपने मुकदमे लाने के लिए प्रेरित करने के लिए लगाया जाएगा। सरकार ने 11 अप्रैल को जिले -जिले में होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत की कामयाबी के लिए यह निर्णय लिया है। इसमें खास फोकस श्रमिकों से जुड़े मुकदमों व परिवारिक वादों को सुलझाने में होगा। प्रदेश में न्याय विभाग के प्रमुख सचिव अनिरुद्ध सिंह ने सभी प्रमुख सचिवों को पत्र लिख कर इसी हिसाब से तैयारियां करने को कहा है। अफसरों से कहा गया है कि राष्ट्रीय लोक अदालत में श्रम से जुड़े अधिक से अधिक मामले निपटाएं जाएं। इसके लिए स्थानीय श्रम अधिकारियों के साथ बैठक कर मुकदमों को निपटारे के लिए छांट लिया जाए। इसके अलावा नोडल अधिकारियों की तैनाती भी कर ली जाए। परिवारिक मुकदमों के निपटारे को दोनों पक्षों के बीच परस्पर सदभावना जाग्रत करने क ी कोशिश की जाए।  

क्या है लोक अदालत
लोक अदालत विवादों को समझौते के जरिए सुलझाने का वैकल्पिक मंच है। जिन सिविल व आपराधिक मुकदमों में समझौता वजिर्त है, उन्हें छोड़ शेष केस इसमें निपटाए जा सकते हैं। लोक अदालतों के फैसलों को अदालत का फैसला माना जाता है। इसे सभी पक्षों पर अनिवार्य रूप से लागू कराया जाता है। लोक अदालत के फै सलों पर कोर्ट में अपील नहीं हो सकती है। लोक अदालत में निपटाए गए मामलों में अदा की गई कोर्ट फीस लौटा दी जाती है।
News Source-Hindustan

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