उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्ष एवं दो
सदस्यों के कामकाज पर रोक लग जाने के बाद 20 हजार से अधिक शिक्षकों का चयन
अधर में फंस गया है। चयन बोर्ड के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति मानक
के अनुरूप नहीं होने के कारण हाईकोर्ट ने इनके काम पर रोक लगा दी है। इसके
कारण नए पदों की घोषणा में भी देरी हो रही है।
उत्तर
प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से 2011 में घोषित
टीजीटी-पीजीटी के लगभग तीन हजार पदों के लिए अभी तक परीक्षा का आयोजन नहीं
कराया जा सका है। इन पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, इससे पहले ही
2013 में टीजीटी-पीजीटी के लगभग आठ हजार पदों की घोषणा कर दी गई। इससे
पूर्व में 2011 एवं 2013 में प्रधानाचार्य के लगभग एक हजार पदों पर भर्ती
की घोषणा की गई थी। कोर्ट की ओर से 2011 की भर्ती प्रक्रिया पर रोक होने के
कारण चयन बोर्ड ने 2013 की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा का आयोजन तो कर
लिया परंतु परिणाम की घोषणा से पहले ही अध्यक्ष एवं सदस्यों के काम पर रोक
लग गई, जिससे यह भर्ती भी अधर में फंस गई है। शासन की ओर से चयन बोर्ड पर
अगले वर्ष तक खाली हो रहे पदों की जानकारी जुटाकर विज्ञापन जारी करने का
दबाव बनाया जा रहा था लेकिन कोरम के अभाव में दस हजार शिक्षकों के पदों की
घोषणा फंस गई है।
आंतरिक कलह का शिकार चयन बोर्ड
उत्तर
प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
अपनी नियुक्ति के साल भर के भीतर ही पूर्णकालिक अध्यक्ष चुने गए डॉ.
परशुराम पाल से इस्तीफा ले लिया गया। इसके बाद शासन की ओर से एक ही दिन में
तीन सदस्य नियुक्त किए गए, यह तीनों सदस्य डिग्री कॉलेजों से आए थे। चयन
बोर्ड के सदस्यों के ही आंतरिक विरोध के कारण शासन ने दूसरे दिन ही दो
सदस्यों डॉ. पंकज राय एवं डॉ. केडी सिंह को बुलाकर इस्तीफा ले लिया। कारण
पारिवारिक बताया गया। सवाल उठता है कि एक दिन के अंदर कौन ऐसी पारिवारिक
परेशानी आ गई कि दो सदस्यों को त्यागपत्र देना पड़ा।
टीजीटी-पीजीटी के पदों की जानकारी जुटाने के बाद भी विज्ञापन जारी करने में देरी
News Source-Amar Ujala
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