13 September, 2015

शिक्षा मित्र : सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी सरकार

शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम का दरवाजा खटखटाने का विचार कर रही है। कानूनी पहलुओं पर राय लेने के बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा।

बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी का कहना है, हाईकोर्ट का फैसला देखा नहीं है बस केवल मीडिया से ही इसकी जानकारी मिली है। इसलिए फैसला देखने के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है।

शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापक पद पर समायोजन नियमों के दायरे में रखकर किया गया है। हाईकोर्ट का जो भी फैसला आया है उस पर विधिक राय लेने के बाद आगे कदम उठाया जाएगा। प्रमुख सचिव डिंपल वर्मा का भी यही कहना है।

शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक तक...
इसलिए फंसा पेंच : टीईटी पास करना था पर अनिवार्यता ही नहीं रखी
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद एनसीटीई ने कक्षा आठ तक के स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य कर दिया।

इसके साथ ही यह भी अनिवार्य किया गया कि गैर प्रशिक्षित शिक्षकों को या तो प्रशिक्षित किया जाएगा या बाहर। राज्य सरकार ने भी यह व्यवस्था लागू कर दी कि बिना टीईटी पास किए कोई भी कक्षा आठ तक के स्कूलों में शिक्षक नहीं बन पाएगा, लेकिन शिक्षा मित्रों में मामले में यह अनिवार्यता नहीं रखी गई।

 टीईटी के पेंच के लिए बदल दी नियमावली
 राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों को शिक्षक बनाने के लिए 30 मई 2014 को उत्तर प्रदेश निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में पहला संशोधन किया।

इसमें यह व्यवस्था दी गई कि कोई शिक्षक जनवरी 2010 के पूर्व से कार्यरत है, तो उसे टीईटी पास करने की जरूरत नहीं होगी। इसके आधार पर ही 19 जून 2014 को शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी पास किए ही सीधे सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का निर्णय किया गया।

समायोजन के लिए मान लिया संविदा शिक्षक
राज्य सरकार शिक्षा मित्रों को पत्राचार के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक बनाना चाहती थी। इसके लिए बीच का रास्ता तलाशा जा रहा था। विभाग के कुछ अधिकारियों ने सलाह दी कि शिक्षा मित्रों को संविदा शिक्षक मान लिया जाए।

 इस तरह दे दी गई टीईटी में छूट
 एनसीटीई ने भी वर्ष 2010 में जारी अधिसूचना में कहा है कि जनवरी 2010 से पूर्व कार्यरत अध्यापकों को टीईटी पास करने की जरूरत नहीं है। बेसिक शिक्षा विभाग ने 30 मई 2014 को उत्तर प्रदेश निशुल्क और बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली में पहला संशोधन किया। इसमें शिक्षा मित्रों को वर्ष 2010 के पूर्व का संविदा शिक्षक मानते हुए टीईटी से छूट दे दी गई।

अदालत में सुनवाई के दौरान ही पूरा हो गया दो चरणों का समायोजन

हाईकोर्ट में शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी पास किए ही सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए जाने पर सुनवाई के दौरान एनसीटीई ने अपना पक्ष रखते हुए इन्हें संविदा कर्मी माना।

हाईकोर्ट में एनसीटीई के पक्ष रखने के बाद राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में पहले चरण में 58,826 शिक्षा मित्रों को समायोजित करने की प्रक्रिया पूरी कर डाली।

हालांकि, बेसिक शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारी शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी पास किए सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन दबाव के चलते पहले चरण में 58,826 और दूसरे चरण में 77,000 शिक्षा मित्रों को समायोजित कर दिया गया।
News Source- Amar Ujala




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