शिक्षा मित्र जिन्हें सहायक अध्यापक का ओहदा मिल चुका
है या फिर जो आने वाले समय में इस पद पर समायोजित होने की तैयारी में हैं,
की बेचैनी बढ़ गई है। ऐसे ही बीएड, बीटीसी और टीईटी अभ्यर्थियों की भी
धड़कनें तेज हैं। दरअसल बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में नियुक्ति
योग्यता को लेकर भर्तियों में नौकरी पाने वाले और बाहर हुए दोनों तरफ के
अभ्यर्थियों की नींद उड़ी है, क्योंकि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल
बेंच इन मुद्दों की एक साथ सुनवाई के लिए बैठेगी। कोर्ट के फैसले से प्रदेश
के लाखों अभ्यर्थियों का भविष्य जुड़ा हुआ है।1 शिक्षा मित्रों के मामले
में सुप्रीम कोर्ट में पहले सुनवाई की तारीख 11 जुलाई तय थी। इसी बीच शेष समायोजन कराने की मांग ने तूल पकड़ा तो टीईटी
अभ्यर्थियों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। उनका तर्क
है कि शिक्षामित्रों की पुरानी नियुक्तियों पर फैसला आना बाकी है और
सरकार नए लोगों को समायोजित करने जा रही है। सुप्रीम कोर्ट में नौ मई को
12091 अभ्यर्थियों के प्रकरण की सुनवाई होनी थी, जिसे अब 26 अप्रैल कर दिया
गया है। असल में परिषद ने इन युवाओं का चयन तो किया, लेकिन उन्हें अब तक
नियुक्ति नहीं मिली है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की स्पेशल बेंच
बनाकर सभी मामले एक साथ मर्ज करके सुनने का निर्णय किया गया है। इसमें
72825 भर्ती के तहत सुप्रीम कोर्ट गए 1100 याचियों की नियुक्ति के अलावा जो
भी प्रकरण शीर्ष कोर्ट में लंबित हैं उन सभी की सुनवाई होगी। सीटें बढ़ें
और निकले विज्ञापन बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में अभी 15 हजार
शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, लेकिन सीटें बढ़ाने और
नया विज्ञापन निकालने की मांग जरूर तेज हो गई है। बीटीसी 2012 बैच के
अभ्यर्थियों का कहना है कि 15 हजार शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करने की
वेबसाइट 11 जनवरी 2016 को बंद कर दी गई है, जबकि उनका रिजल्ट 12 जनवरी 2016
को घोषित किया गया है। जिससे बड़ी संख्या में युवा आवेदन करने से रह गए
हैं। इस भर्ती में पद बढ़ाने की मांग है। ऐसे में भर्ती का नया विज्ञापन
निकालकर सबको मौका दिया जाए।
बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में मंगलवार से होने वाली तालाबंदी स्थगित
हो गई है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अल्टीमेटम पर शासन ने
तेजी दिखाते हुए तमाम लंबित प्रकरणों को जल्द अमलीजामा पहनाने जा रहा है।
ऐसे में संघ ने प्रस्तावित आंदोलन फिलहाल टाल दिया है। भले ही टकराव टल
गया हो, लेकिन शासन पर शिक्षकों की मांगें मानने का दबाव जरूर बन गया है।
माना जा रहा है कि जल्द ही
तबादला नीति जारी होने के आसार बन गए हैं। परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की
समस्याओं की निरंतर अनदेखी होने से मांगों की सूची काफी लंबी हो गई है।
नया शैक्षिक सत्र शुरू होने के बाद भी अफसरों के इस ओर मुखातिब न होने पर
प्रांतीय नेतृत्व के आवाहन पर 16 मार्च को लखनऊ में धरना दिया गया था और
बीते आठ अप्रैल को बेसिक शिक्षा सचिव के साथ शिक्षकों की समस्याओं के
निराकरण के संबंध में समीक्षा की गई। इसमें यह पाया गया कि जिन मांगों पर
सहमति हुई थी उनमें मृतक शिक्षकों के आश्रितों को बीटीसी प्रशिक्षण दिलाकर
अध्यापक बनाना, शिक्षकों का अंतरजनपदीय स्थानांतरण शुरू करना, पति-पत्नी
यदि दोनों सरकारी सेवा में हैं तो दोनों को मकान किराया भत्ता देना, नई
पेंशन स्कीम के तहत मई से कटौती शुरू करना आदि की दिशा में तेजी से
कार्यवाई चल रही है। आश्वासनों के सापेक्ष अधिकांश प्रस्ताव शासन को विभाग
की ओर से भेजे जा चुके हैं। जिन पर जल्द ही शासनादेश जारी होने की उम्मीद
है। शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा एवं महामंत्री जबर
सिंह यादव की ओर से कहा गया है कि समस्याओं के निराकरण में सरकार की तेजी
को देखते हुए यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि 26 अप्रैल से
प्रस्तावित तालाबंदी अग्रिम आदेश तक स्थगित की जाती है।
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शिक्षा मित्रों की सुनवाई आज से शुरू
26 April, 2016
शिक्षा मित्रों की सुनवाई आज से शुरू
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