पीएचडी प्रवेश परीक्षा में सीटों को लेकर घमासान
लखनऊ
विश्वविद्यालय (लविवि) द्वारा डिग्री कॉलेज शिक्षकों को पीएचडी करवाने की
छूट को लेकर हंगामा मचा हुआ है।समाजशास्त्र विभाग की डिपार्टमेंटल रिसर्च
कमेटी (डीआरसी) ने भी नियमों का हवाला देकर छह डिग्री कॉलेज के शिक्षकों
को पीएचडी सीट देने से इंकार कर दिया है।जिसकी वजह से डिग्री कॉलेजों के
शिक्षक आंदोलन पर उतर आए हैं । इसकी वजह से छह डिग्री कॉलेजों में
समाजशास्त्र में पीएचडी करवाने का मामला और भी फंस गया है।
वहीं
दूसरी तरफ समाजशास्त्र के अलावा अभी हिंदी विषय की सीटों के बारे में भी
स्तिथि साफ़ नहीं है।इधर लविवि में समाजशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रो.
राम गणोश यादव का कहना है कि पीएचडी आर्डिनेंस 2015 में साफ लिखा है कि जिन
डिग्री कॉलेजों में ऐसे विभाग हैं जहां पर रेगुलर अध्यापक पढ़ा रहे हों
वहां पर उन्हें पीएचडी करवाने की छूट दी जाए।
लेकिन कुछ डिग्री
कॉलेजों में तो समाजशास्त्र कोर्स सेल्फ फाइनेंस के तहत चल रहा है और फिर
जो शिक्षक वहां पढ़ा रहे हैं उनकी नियुक्ति स्नातक स्तर पर पढ़ाने के लिए
ही हुई है। इसीलिए ऐसे में डीआरसी ने कॉलेज शिक्षकों को पीएचडी सीट देने से
इंकार कर दिया है।
वहीं दूसरी ओर इस सब पर लुआक्टा की
महामंत्री डॉ. अंशु केडिया का कहना है की नियम के अनुसार जिन कॉलेजों में
रेगुलर टीचर पढ़ा रहे हैं और वहां पर पीजी कोर्स अगर सेल्फ फाइनेंस भी हो और
वहां के टीचर ने यदि पीएचडी कर रखी है तथा दो रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके
हैं तो उन्हें पीएचडी कराने की छूट दी जाए।
इस विवाद के चलते
एपीसेन मेमोरियल गल्र्स पीजी कॉलेज, मुमताज पीजी कॉलेज, शिया पीजी कॉलेज,
केकेसी, आइटी कॉलेज और कालीचरण डिग्री कॉलेज में समाजशास्त्र में पीएचडी का
मामला फंस गया है।
डॉ. केडिया ने आरोप लगाया कि लविवि के हिंदी
विभाग द्वारा भी पीएचडी करवाने की छूट नहीं दी जा रही है। डॉ. केडिया ने
इस प्रकरण पर प्रतिकुलपति प्रो. यूएन द्विवेदी का घेराव कर मामले पर त्वरित
कार्रवाई करने की मांग की।
उधर, लविवि के प्रवेश समन्वयक
प्रो. अनिल मिश्र का कहना है कि फिलहाल डिग्री कॉलेज में ऐसे शिक्षक जो
रेग्युलर हैं वह चाहे पीजी स्तर के सेल्फ फाइनेंस कोर्स में भी पढ़ाते हों
लेकिन जरूरी अर्हता पूरी करते हैं तो छूट मिलनी चाहिए।
- पीएचडी प्रवेश परीक्षा में अब माइनस मार्किंग न होने से राहत
- लविवि कार्यपरिषद द्वारा आज इस नए आर्डिनेंस पर लगेगी मुहर
- प्रवेश परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक लाने की अनिवार्यता के कारण हटाई माइनस मार्किंग
लखनऊ
विश्वविद्यालय (लविवि) में अब पीएचडी की प्रवेश परीक्षा में माइनस
मार्किंग नही की जाएगी।अभी तक की परीक्षाओं में एक चौथाई माइनस मार्किंग की
जाती थी जैसे यदि चार प्रश्नों के गलत होने पर एक प्रश्न के अंक काटे जाने
का प्रावधान था। लेकिन नए नियमों के कारण लविवि ने इस एक चौथाई माइनस
मार्किंग को हटाने का फैसला लिया है क्योंकि अब प्रवेश परीक्षा में 50
प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य है ।इस महत्वपूर्ण निर्णय पर मंगलवार को होने
वाली कार्य परिषद् की बैठक में मुहर लगेगी।
पीएचडी
प्रवेश परीक्षा में दिव्यांग विद्यार्थियों को भी बड़ी राहत दी जाएगी ऐसा
निर्णय लविवि के कुलपति प्रो.एसबी निमसे की अध्यक्षता में होने वाली कार्य
परिषद् की बैठक में लिया जायेगा। अब दिव्यांगों को पीएचडीमें आवेदन करने के
लिए (पीजी) परास्नातक में 50 प्रतिशत अंक होने पर भी छूट दी जाएगी। अभी तक
सामान्य व ओबीसी के दिव्यांगों को पीजी में 55 प्रतिशत अंक होने पर ही
पीएचडी में आवेदन करने की छूट थी।फिलहाल आगे के दाखिले की प्रक्रिया
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा तैयार किए गए पीएचडी के नए
आर्डिनेंस के अनुसार होगी।मंगलवार को कार्यपरिषद से पीएचडी आर्डिनेंस पास
होने के बादऑनलाइन आवेदन फार्म 25 सितंबर से जारी किये जाएंगे।
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