- पीएचडी में नए नियम बने छात्रों की मुसीबत
- पीएचडी आर्डिनेंस में जो नए नियम बनाए उसे भी प्रवेश परीक्षा में मनमाने ढंग से किया लागू
- शोध पद्धति से सवाल नहीं पूछे मगर 50 अंक की अनिवार्यता कर दी लागू
लखनऊ
विश्वविद्यालय ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के निर्देश पर तैयार
किए गए पीएचडी आर्डिनेंस 2016 में भी जो नियम शामिल किए उन्हें मनमाने ढंग
से प्रवेश परीक्षा में लागू किया। खुद लविवि के पीएचडी आर्डिनेंस में साफ
लिखा है कि प्रवेश के लिए पात्रता परीक्षा में जो 90 बहुविकल्पीय सवाल पूछे
जाएंगे उनमें 50 प्रतिशत विषय के होंगे और 50 प्रतिशत शोध पद्धति के सवाल
होंगे। मगर लविवि व डिग्री कॉलेजों में परास्नातक (पीजी) स्तर पर शोध
पद्धति नहीं पढ़ाई जाती, ऐसे में उसने पीएचडी की पात्रता परीक्षा में सिर्फ
पीजी के विषय के ही सवाल पूछे, शोध पद्धति के नहीं। लेकिन उसने पीएचडी
पात्रता परीक्षा में 50 अंक प्राप्त करने पर ही पास होने की अनिवार्यता को
लागू कर दिया। ऐसे में लविवि ने जो खुद पीएचडी आर्डिनेंस बनाया उसके
आधे-अधूरे नियम ही प्रवेश परीक्षा में लागू किए।
लविवि में ट्रेवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट कोर्स में पीएचडी प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्र दानिश आजाद को 44 नंबर मिले हैं। उनका कहना है कि आखिर पीएचडी की पात्रता परीक्षा में लविवि ने अपने ही आर्डिनेंस में शामिल किए गए नियमों को आधा-अधूरा क्यों शामिल किया। जब शोध पद्धति के सवाल नहीं पूछे थे तो पास होने के लिए 50 अंकों की अनिवार्यता भी न शामिल करते। वह कहते हैं कि अगर लविवि ने शोध पद्धति के सवाल पूछे होते और इसे दो महीने ही एक्स्ट्रा क्लास लेकर पढ़ाया गया होता तो शायद हमारा सेलेक्शन हो जाता।
लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्र कहते हैं कि पीएचडी के नए नियम अगले शैक्षिक सत्र से पूरी तैयारी के साथ लागू किए जाते तो बेहतर होता। इधर लविवि के प्रवेश समन्वयक प्रो. अनिल मिश्र का कहना है कि पीएचडी की पात्रता परीक्षा में शोध पद्धति के सवाल नहीं पूछे गए हैं। पात्रता परीक्षा में नियमों को ध्यान में रखा गया है। बीबीएयू ने नहीं लागू किए नियम 1बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में यूजीसी द्वारा तैयार किए गए पीएचडी के नए रेग्युलेशन 2016 को इस साल लागू नहीं किया है। उसने इस मामले में कमेटी बनाकर इसे अगले वर्ष से लागू करने का फैसला किया है, ताकि वह आराम से इसकी तैयारी कर सके।
आंसर की जारी करने की मांग उठाई :लविवि में छात्रों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा की आंसर की जारी करने की मांग की है। ताकि वह ओएमआर शीट की कार्बन कापी से सही उत्तर का मिलान कर सकें।
News Source-Dainik Jagran
लविवि में ट्रेवल एंड टूरिज्म मैनेजमेंट कोर्स में पीएचडी प्रवेश परीक्षा देने वाले छात्र दानिश आजाद को 44 नंबर मिले हैं। उनका कहना है कि आखिर पीएचडी की पात्रता परीक्षा में लविवि ने अपने ही आर्डिनेंस में शामिल किए गए नियमों को आधा-अधूरा क्यों शामिल किया। जब शोध पद्धति के सवाल नहीं पूछे थे तो पास होने के लिए 50 अंकों की अनिवार्यता भी न शामिल करते। वह कहते हैं कि अगर लविवि ने शोध पद्धति के सवाल पूछे होते और इसे दो महीने ही एक्स्ट्रा क्लास लेकर पढ़ाया गया होता तो शायद हमारा सेलेक्शन हो जाता।
लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलीन्दु मिश्र कहते हैं कि पीएचडी के नए नियम अगले शैक्षिक सत्र से पूरी तैयारी के साथ लागू किए जाते तो बेहतर होता। इधर लविवि के प्रवेश समन्वयक प्रो. अनिल मिश्र का कहना है कि पीएचडी की पात्रता परीक्षा में शोध पद्धति के सवाल नहीं पूछे गए हैं। पात्रता परीक्षा में नियमों को ध्यान में रखा गया है। बीबीएयू ने नहीं लागू किए नियम 1बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय में यूजीसी द्वारा तैयार किए गए पीएचडी के नए रेग्युलेशन 2016 को इस साल लागू नहीं किया है। उसने इस मामले में कमेटी बनाकर इसे अगले वर्ष से लागू करने का फैसला किया है, ताकि वह आराम से इसकी तैयारी कर सके।
आंसर की जारी करने की मांग उठाई :लविवि में छात्रों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा की आंसर की जारी करने की मांग की है। ताकि वह ओएमआर शीट की कार्बन कापी से सही उत्तर का मिलान कर सकें।
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