इलाहाबाद : शैक्षिक या फिर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में युवाओं को
दाखिला देने में अल्पसंख्यक संस्थान अब मनमानी नहीं कर सकेंगे। मेरठ के
अल्पसंख्यक संस्थान को जिस तरह से सबक सिखाया गया है उससे अन्य संस्थान भी
सहम गए हैं। यही नहीं, बीटीसी के अल्पसंख्यक संस्थान आगे से खुद दाखिला ले
सकेंगे या नहीं यह भी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन इतना तय है कि हाईकोर्ट
का यह फैसला अन्य संस्थानों के लिए भी नजीर बनेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत तरीके से दाखिले लेने वाले अल्पसंख्यक संस्थानों को सबक देते हुए मेरठ के संकल्प इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अल्पसंख्यक संस्थानों को खुद से प्रवेश लेने का अधिकार नहीं है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गलत तरीके से दाखिले लेने वाले अल्पसंख्यक संस्थानों को सबक देते हुए मेरठ के संकल्प इंस्टीट्यूट ऑफ एजूकेशन को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अल्पसंख्यक संस्थानों को खुद से प्रवेश लेने का अधिकार नहीं है।
यह आदेश गुरुवार को न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने संकल्प इंस्टीट्यूट आफ एजुकेशन की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। संकल्प इंस्टीट्यूट ने बीएड में मेरठ विश्वविद्यालय की काउंसिलिंग से इतर प्रवेश कर लिए थे जिनकी परीक्षा कराने से विश्वविद्यालय ने इन्कार कर दिया था। संकल्प की ओर से इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।
प्रदेश के बीटीसी अल्पसंख्यक संस्थानों को इसी सत्र से खुद
दाखिला लेने का अधिकार मिला है। इसके पहले जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण
संस्थान में युवाओं की काउंसिलिंग होती थी और वहां से चयनित अभ्यर्थी कालेज
में भेजे जाते थे। इस बार से अल्पसंख्यक संस्थानों ने खुद युवाओं का चयन
कर दाखिला लिया। इसीलिए बीटीसी दाखिले के अंतिम समय में अल्पसंख्यक संस्थान
घोषित होने पर डायट को मेरिट बदलनी पड़ी थी और तमाम युवा दाखिला भी नहीं
ले पाए थे।
इसी तरह से प्रदेश के अन्य अल्पसंख्यक संस्थानों में भी दाखिले में मनमानी
जारी है। माना जा रहा है कि अब युवा मेरठ कालेज को नजीर बनाकर संस्थानों पर
अंकुश लगाया जा सकेगा।
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