बीटीसी पाठ्यक्रम व टीईटी प्रश्नपत्र में बदलाव और बढ़ती सीटों से घटेंगे मौके
मेरिट उनके शिक्षक बनने में दाखिले का आधार
तो बन सकती है लेकिन, पूरी चयन प्रक्रिया से बेड़ा पार मेधा के दम पर ही
होगा। इसकी वजह एससीईआरटी ने बीटीसी के पाठ्यक्रम में बदलाव कर दिया है और
एनसीटीई टीईटी में आमूलचूल परिवर्तन करने की तैयारी में है। इससे दोनों
परीक्षाएं उत्तीर्ण करना आसान नहीं होगा, वहीं लगातार बढ़ती जा रही बीटीसी
की सीटें मुकाबले को और कड़ा करेंगी। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में
शिक्षक बनने को ज्यादातर युवा उत्सुक रहे हैं। परिषदीय स्कूलों में शिक्षक
बनने की प्रक्रिया भी इधर के वर्षो में आसान रही है। एकेडमिक मेरिट वालों
को बीटीसी करने के लिए मनचाहे जिले में प्रवेश और फिर सभी बीटीसी
प्रशिक्षुओं को विद्यालयों में नियुक्ति भी आसानी से मिल जाती थी। प्रदेश
में एनसीटीई के निर्देश पर शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी लागू होने के
बाद से स्थिति में बदलाव शुरू हुआ है। वह लगातार बढ़ता जा रहा है। बदलते
नियम ही शिक्षक बनने की राह कठिन कर रहे हैं।
बीटीसी में हो रहे आठ
प्रश्नपत्र : बेसिक टीचर्स ट्रेनिंग यानि बीटीसी के दो वर्षीय पाठ्यक्रम में
पहले महज तीन प्रश्नपत्र की परीक्षा प्रशिक्षुओं को देनी होती थी, लेकिन
एससीईआरटी ने 2013 बैच से नया पाठ्यक्रम लागू कर दिया है इसमें आठ
प्रश्नपत्र होते हैं। सेमेस्टर परीक्षा होने पर बिना पढ़ाई किए उत्तीर्ण
होना संभव नहीं है। 2013 बैच के परिणाम में यह साफ भी हो गया। तमाम
अभ्यर्थियों का परीक्षाफल अपूर्ण था। अब बीटीसी संस्थानों पर भी शिकंजा कसा
जा रहा है।
टीईटी 2015 में 17 फीसद उत्तीर्ण : परिषदीय स्कूलों में
शिक्षक बनने के लिए जरूरी है कि अभ्यर्थी शिक्षक पात्रता परीक्षा अनिवार्य
रूप से उत्तीर्ण करें। पिछले साल हुई टीईटी 2015 में महज 17 फीसदी अभ्यर्थी
उत्तीर्ण हो सके। इससे उनकी बीटीसी की पढ़ाई की भी पोल खुल गई। यही नहीं
एनसीटीई 2019 से टीईटी में और भी कई बदलाव करने जा रहा है। इसमें
अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र के सभी भागों को उत्तीर्ण करना जरूरी होगा। ऐसे
ही कई और सुधार प्रस्तावित हैं।
हर बार बढ़ रही बीटीसी की सीटें प्रदेश
में पहले बीटीसी की पढ़ाई सिर्फ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान यानि
डायट में ही होती थी लेकिन, इधर लगातार सीटें बढ़ती जा रही हैं। पिछले वर्ष
बीटीसी 2015 में सत्तर हजार से अधिक सीटों के लिए चयन हुआ था, जबकि बीटीसी
2016 में यह सीटें एक लाख के पार होने की उम्मीद है। अधिक संख्या में
अभ्यर्थियों के बीटीसी करने से शिक्षक बनने के मौके भी लगातार कम होते जा
रहे हैं।
तीन लाख शिक्षकों की भर्ती परिषदीय स्कूलों में पिछले वर्षो में
करीब तीन लाख शिक्षकों की भर्ती हुई हैं। इधर कई वर्षो से इन स्कूलों में
बड़े पैमाने पर पद खाली चल रहे थे। उनमें से अधिकांश पद अब भर गए हैं। साथ
ही हर साल सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों की संख्या 15 से 20 हजार के ही
बीच है। ऐसे में आने वाले वर्षो में भर्तियां भी कम होने के आसार
हैं।
Jagran
0 comments:
Post a Comment