शिक्षा निदेशालय की स्वीकृति के बिना नियुक्ति नहीं : कोर्ट
नई दिल्ली : हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में माना है कि राजधानी
के किसी भी सहायता प्राप्त स्कूल में शिक्षा निदेशालय की स्वीकृति के बिना
नियुक्ति नहीं की जाएगी। नियुक्ति प्रक्रिया में तय नियमों का पालन करना
ही होगा। अदालत दो अलग-अलग शिक्षकों की उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी
जिसमें उन्होंने नियमित करने की अपील की थी। दोनों ने 10 साल से अधिक समय
से काम करने व स्कूल में शिक्षक की जरूरत होने को आधार बनाया था। लेकिन
न्यायमूर्ति वाल्मीकि जे मेहता ने दोनों शिक्षकों की याचिका को खारिज करते
हुए उन्हें राहत देने से साफ इन्कार कर दिया है। पहले मामले में टीजीटी
महिला शिक्षक ने खुद को स्थायी करने की अपील की थी। याची का तर्क था कि
उसने अगस्त 1997 को एक सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक स्कूल में ज्वाइन किया
था। उसने यहां 11 साल पढ़ाया। लेकिन स्कूल ने उन्हें स्थायी करने की बजाए
समाचार पत्र में नौकरी के लिए विज्ञापन निकाल दिया। इस पर अदालत ने कहा कि
शिक्षिका को अस्थायी रूप से ही रखा गया था। उसे पीटीए फंड से पैसे दिए जाते
थे।
यह सही है कि अल्पसंख्यक स्कूल में शिक्षा निदेशालय नियुक्ति
प्रक्रिया में छेड़छाड़ नहीं करता लेकिन नियुक्ति के मानक निदेशालय द्वारा
ही तय किए जाते हैं। अल्पसंख्यक स्कूलों में 95 प्रतिशत सहायता सरकार करती
है। उधर, दूसरे मामले में एक स्कूल में टीजीटी (राजनीति विज्ञान) के
शिक्षक ने खुद को पीजीटी (राजनीति विज्ञान) पद पर नियुक्ति की अपील की थी।
याची का तर्क था कि नवंबर 1994 में उसने स्कूल में ज्वाइन किया था। उसने 14
साल काम किया है। जुलाई 2006 में स्कूल में पीजीटी शिक्षक सेवानिवृत्त हुए
थे। लेकिन उसे पीजीटी नहीं किया गया। स्कूल ने जवाब दिया कि उनके स्कूल
में 9 पद रिक्त हैं जिनमें से 1 पद सुरक्षित है और अन्य 8 सामान्य। याची
सुरक्षित श्रेणी में है और इस क्षेणी में वह पहले ही किसी अन्य की की
नियुक्ति कर चुके हैं।
News Source-Dainik Jagran
0 comments:
Post a Comment