प्राथमिक विद्यालयों में 16448 सहायक अध्यापकों की भर्ती मामले में डीएड
अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने बेसिक
शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वह डीएड डिग्री धारकों के दावे पर
विचार करके उनको नियुक्ति देने का नियमानुसार आदेश पारित करें। इससे पहले
अदालत ने कहा कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे पता चलता हो कि याचीगण को
मात्र इस आधार पर नियुक्ति नहीं दी गई कि वह सहायक अध्यापक होने की वैध
अर्हता नहीं रखते हैं। कोर्ट ने इस मामले में हर्ष कुमार और राजेश कुमार
पाठक केस में दिए गए आदेशों से मद्देनजर निर्णय लेने को कहा है। विनोद
कुमार और नौ अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्त
ने यह आदेश दिया। याचीगण का कहना था कि उन्होंने 16448 सहायक अध्यापक
भर्ती के लिए आवेदन किया था। दूसरे अभ्यर्थियों की तुलना में उनके अंक भी
अधिक हैं। इसके बावजूद अधिकारियों ने बताया कि चूंकि उनकी डिग्रियां सर्विस
रूल्स के मुताबिक नहीं है इसलिए उनको नियुक्ति नहीं दी गई। याची का कहना
था कि हर्ष कुमार केस में इस हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि डीएड डिग्री
एनसीटीई द्वारा तय गाइड लाइन के तहत सहायक अध्यापक के लिए अर्ह डिग्री है।
इसी आधार पर इस केस के याचीगण को भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन करने की
अनुमति दी गई थी। राजेश कुमार पाठक केस में भी डीएड डिग्री को एनसीटीई से
मान्यता प्राप्त डिग्री माना गया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग और
प्रदेश सरकार को इन दोनों निर्णयों के आलोक में उचित आदेश पारित करने को
कहा है
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डीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति देने का आदेश
15 February, 2017
डीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति देने का आदेश
प्राथमिक विद्यालयों में 16448 सहायक अध्यापकों की भर्ती मामले में डीएड
अभ्यर्थियों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। हाईकोर्ट ने बेसिक
शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है कि वह डीएड डिग्री धारकों के दावे पर
विचार करके उनको नियुक्ति देने का नियमानुसार आदेश पारित करें। इससे पहले
अदालत ने कहा कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे पता चलता हो कि याचीगण को
मात्र इस आधार पर नियुक्ति नहीं दी गई कि वह सहायक अध्यापक होने की वैध
अर्हता नहीं रखते हैं। कोर्ट ने इस मामले में हर्ष कुमार और राजेश कुमार
पाठक केस में दिए गए आदेशों से मद्देनजर निर्णय लेने को कहा है। विनोद
कुमार और नौ अन्य की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्त
ने यह आदेश दिया। याचीगण का कहना था कि उन्होंने 16448 सहायक अध्यापक
भर्ती के लिए आवेदन किया था। दूसरे अभ्यर्थियों की तुलना में उनके अंक भी
अधिक हैं। इसके बावजूद अधिकारियों ने बताया कि चूंकि उनकी डिग्रियां सर्विस
रूल्स के मुताबिक नहीं है इसलिए उनको नियुक्ति नहीं दी गई। याची का कहना
था कि हर्ष कुमार केस में इस हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि डीएड डिग्री
एनसीटीई द्वारा तय गाइड लाइन के तहत सहायक अध्यापक के लिए अर्ह डिग्री है।
इसी आधार पर इस केस के याचीगण को भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन करने की
अनुमति दी गई थी। राजेश कुमार पाठक केस में भी डीएड डिग्री को एनसीटीई से
मान्यता प्राप्त डिग्री माना गया है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा विभाग और
प्रदेश सरकार को इन दोनों निर्णयों के आलोक में उचित आदेश पारित करने को
कहा है
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