18 February, 2017

तबादले पर गए शिक्षकों को मूल जिले में वापस होने के आदेश जारी

तबादले पर गए शिक्षकों को मूल जिले में वापस होने के आदेश जारी हो गए हैं। विधानसभा चुनाव घोषणा के ठीक पहले जिन शिक्षकों का तबादला हुआ उन्हें वापस उसी जिले में भेजा जाएगा, जहां से वह रिलीव हुए। इस संबंध में बेसिक शिक्षा परिषद सचिव ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया है।

प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के पहले अफसर व कर्मचारियों के खूब तबादले हुए हैं। इसमें जिले के अंदर से लेकर अंतर जिला तक शामिल हैं। बीते तीन जनवरी को शासन ने 65 परिषदीय शिक्षकों का एक से दूसरे जिले में तबादला किया। इसे चुनाव आयोग ने गंभीरता से लिया और परिषद के अफसरों से जवाब तलब किया। आयोग ने परिषद से पूछा कि सूबे में बूथ लेबिल अधिकारियों के रूप में कार्य कर रहे अध्यापकों के स्थानांतरण के बाद जिलेवार कितने पद रिक्त होंगे और रिक्त पदों पर अध्यापकों को कब तक नियुक्त किया जाएगा। इस पर परिषद सचिव संजय सिन्हा ने बीते 23 जनवरी को ही बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर तबादला आदेश पर रोक लगा दी थी। साथ ही सभी जिलों से रिक्त पदों की रिपोर्ट भी मांग ली। हालांकि यह प्रकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ तक पहुंचा, कोर्ट ने शिक्षकों के तबादले पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। आयोग एवं परिषद की तेजी से 65 शिक्षकों का तबादला तो रुक गया, लेकिन शिक्षक जहां से रिलीव हुए थे वहां वापस नहीं लौटे।

तमाम शिक्षक यहां-वहां अटैच
परिषदीय शिक्षकों के अंतर जिला तबादले में इधर से उधर हुए शिक्षकों को बीएसए ने यहां-वहां अटैच कर दिया गया है। ज्ञात हो कि परिषद ने बीते 26 दिसंबर को 1870 शिक्षकों का अंतर जिला तबादला किया। इसके पहले से लेकर बाद तक शासन ने रह-रहकर कई लिस्ट जारी की। मसलन, 35, 96, 137, 110 एवं 296 शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ। इनमें से कुछ शिक्षकों को विद्यालय आवंटित हो गए हैं, लेकिन अधिकांश शिक्षक जिला मुख्यालय पर विद्यालय आवंटन की राह देखते रहे। बीएसए आचार संहिता का हवाला देकर विद्यालय आवंटित करने से बचते रहे। अंतिम सूची पर चुनाव आयोग की सख्ती के बाद बीएसए ने कार्यालयों में अटैच शिक्षकों यहां-वहां के स्कूलों से संबद्ध कर दिया है। jagran

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