शैक्षिक कैलेंडर के मुताबिक दो दिन बाद प्रदेश भर के माध्यमिक कालेजों में
नया शैक्षिक सत्र शुरू होना है। इस बार विधानसभा चुनाव के कारण यूपी बोर्ड
की परीक्षाएं चल रही हैं। इम्तिहान खत्म होते ही उत्तरपुस्तिकाओं का
मूल्यांकन शुरू हो जाएगा। अप्रैल ही नहीं मई में भी सत्र शुरू करने की
औपचारिकता तक नहीं हो सकेगी। यूपी बोर्ड ने सत्र बदलने के लिए जनवरी में ही
शासन को प्रस्ताव भेज रखा है, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। ऐसे
में शिक्षकों में असमंजस बना है कि आखिर क्या करें।
इस बार विधानसभा चुनाव के कारण बोर्ड परीक्षाएं मार्च के दूसरे पखवारे में शुरू होकर अप्रैल के तीसरे सप्ताह में खत्म हो रही हैं। इसलिए जून तक पढ़ाई व प्रवेश की कल्पना करना ही बेमानी है, क्योंकि परीक्षा खत्म होते ही कक्षा 9 एवं 11 के वार्षिक इम्तिहान और कॉपियों के मूल्यांकन में सारा वक्त निकल जाएगा। शिक्षक संगठन लंबे समय से सत्र बदलने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस बदलाव से कोई लाभ होने के बजाए परेशानी ज्यादा हो, उससे निजात पा लेनी चाहिए। उनका तर्क है कि ठंड के कारण 15 फरवरी से पहले यूपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो पाना संभव नहीं है। इसलिए मार्च तक परीक्षा परिणाम किसी हालत में जारी नहीं हो सकता है, तब ऐसे सत्र को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। जुलाई से सत्र बेहतर रहेगा। उधर, माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव शैल यादव का कहना है कि उन्हें तमाम सुझाव व अनुरोध पत्र मिले। सत्र बदलने का निर्णय UP Board नहीं कर सकता। शासन की अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, जो निर्णय होगा उसका पालन करेंगे। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले यह अनुस्मारक भी भेजा गया है कि 31 मार्च तक इस मामले में निर्णय कर लिया जाए, ताकि असमंजस की स्थिति न रहे।
- सत्र बदलने के लिए यूपी बोर्ड का शासन को भेजा प्रस्ताव अधर में
- अप्रैल में बोर्ड परीक्षा व मूल्यांकन से सत्र शुरू होना संभव नहीं
इस बार विधानसभा चुनाव के कारण बोर्ड परीक्षाएं मार्च के दूसरे पखवारे में शुरू होकर अप्रैल के तीसरे सप्ताह में खत्म हो रही हैं। इसलिए जून तक पढ़ाई व प्रवेश की कल्पना करना ही बेमानी है, क्योंकि परीक्षा खत्म होते ही कक्षा 9 एवं 11 के वार्षिक इम्तिहान और कॉपियों के मूल्यांकन में सारा वक्त निकल जाएगा। शिक्षक संगठन लंबे समय से सत्र बदलने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिस बदलाव से कोई लाभ होने के बजाए परेशानी ज्यादा हो, उससे निजात पा लेनी चाहिए। उनका तर्क है कि ठंड के कारण 15 फरवरी से पहले यूपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो पाना संभव नहीं है। इसलिए मार्च तक परीक्षा परिणाम किसी हालत में जारी नहीं हो सकता है, तब ऐसे सत्र को बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है। जुलाई से सत्र बेहतर रहेगा। उधर, माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव शैल यादव का कहना है कि उन्हें तमाम सुझाव व अनुरोध पत्र मिले। सत्र बदलने का निर्णय UP Board नहीं कर सकता। शासन की अनुमति के लिए प्रस्ताव भेजा गया है, जो निर्णय होगा उसका पालन करेंगे। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले यह अनुस्मारक भी भेजा गया है कि 31 मार्च तक इस मामले में निर्णय कर लिया जाए, ताकि असमंजस की स्थिति न रहे।
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