लखनऊ (डीएनएन)। सरकारी स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को दिए
जाने वाले मिड-डे-मील की
रिपोर्ट के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा। इसमें रोजाना किस स्कूल में कितने बच्चों ने खाना खाया। कितने बच्चे स्कूल में पंजीकृत हैं और स्कूल की उपस्थिति कितनी है। इस तरह का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा। माध्यान्ह भोजन प्राधिकरण ने ऐसा ही एक पोर्टल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। मौजूदा समय में परिषदीय, राजकीय, सहायता प्राप्प्त व मदरसों आदि में कक्षा एक आठ तक करीब एक करोड़ 80 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। इन्हें Mid Day Meal देने की व्यवस्था है। अभी तक एमडीएम में खाने वाले बच्चों की संख्या आईवीआरएस तकनीक से ली जा रही है। इस तकनीक में रोज कंट्रोल रूम से हर एक स्कूल के एक शिक्षक के पास फोन जाता है और बच्चों की संख्या दर्ज की जाती है। इसमें रैंडम तरीके से जांच भी की जाती है कि जितनी संख्या शिक्षक ने बताई हैं उतने बच्चे उपस्थित माने जाते हैं। लेकिन अब इस रिपोर्ट के लिए एक पोर्टल भी तैयार किया जाएगा। यह पोर्टल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनाया जा रहा है। वहीं इस पोर्टल पर पहले जिलेवार, ब्लॉकवार हर स्कूल का ब्यौरा अपलोड किया जाएगा। इसमें पूछा जाएगा कि किस स्कूल में कितने बच्चे पंजीकृत हैं और उनमें से कितने बच्चे रोजाना स्कूल आते हैं। इसके बाद हर महीने रिपोर्ट अपलोड होगी कि प्रतिदिन कितने बच्चों ने स्कूल में मिड डे मील खाया। इसके बाद रोजाना रिपोर्ट अपलोड करने की तैयारी है। भले ही सरकार 100 फीसदी बच्चों के खाने के लिए खाद्यान व कनवरजन कास्ट देती है, लेकिन प्रदेश में पंजीकृत बच्चों के मुकाबले लगभग 50 से 60 फीसदी ही एमडीएम खाते हैं।
रिपोर्ट के लिए एक पोर्टल बनाया जाएगा। इसमें रोजाना किस स्कूल में कितने बच्चों ने खाना खाया। कितने बच्चे स्कूल में पंजीकृत हैं और स्कूल की उपस्थिति कितनी है। इस तरह का पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा। माध्यान्ह भोजन प्राधिकरण ने ऐसा ही एक पोर्टल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। मौजूदा समय में परिषदीय, राजकीय, सहायता प्राप्प्त व मदरसों आदि में कक्षा एक आठ तक करीब एक करोड़ 80 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। इन्हें Mid Day Meal देने की व्यवस्था है। अभी तक एमडीएम में खाने वाले बच्चों की संख्या आईवीआरएस तकनीक से ली जा रही है। इस तकनीक में रोज कंट्रोल रूम से हर एक स्कूल के एक शिक्षक के पास फोन जाता है और बच्चों की संख्या दर्ज की जाती है। इसमें रैंडम तरीके से जांच भी की जाती है कि जितनी संख्या शिक्षक ने बताई हैं उतने बच्चे उपस्थित माने जाते हैं। लेकिन अब इस रिपोर्ट के लिए एक पोर्टल भी तैयार किया जाएगा। यह पोर्टल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बनाया जा रहा है। वहीं इस पोर्टल पर पहले जिलेवार, ब्लॉकवार हर स्कूल का ब्यौरा अपलोड किया जाएगा। इसमें पूछा जाएगा कि किस स्कूल में कितने बच्चे पंजीकृत हैं और उनमें से कितने बच्चे रोजाना स्कूल आते हैं। इसके बाद हर महीने रिपोर्ट अपलोड होगी कि प्रतिदिन कितने बच्चों ने स्कूल में मिड डे मील खाया। इसके बाद रोजाना रिपोर्ट अपलोड करने की तैयारी है। भले ही सरकार 100 फीसदी बच्चों के खाने के लिए खाद्यान व कनवरजन कास्ट देती है, लेकिन प्रदेश में पंजीकृत बच्चों के मुकाबले लगभग 50 से 60 फीसदी ही एमडीएम खाते हैं।
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