उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को शिक्षा मित्रों का सहायक
शिक्षक के तौर पर समायोजन रद करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश का
सुप्रीम कोर्ट में विरोध किया। प्रदेश सरकार और बेसिक शिक्षा परिषद की ओर
से कहा गया कि नियम कानूनों के तहत शिक्षा मित्रों का समायोजन किया गया था।
शिक्षा मित्रों की ओर से भी कोर्ट मे दलीलें रखी गईं। मामले में शुक्रवार
को फिर सुनवाई होगी।
यह मामला उत्तर प्रदेश में 170000 शिक्षा मित्रों को सहायक
शिक्षक के तौर पर समायोजित किये जाने का है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 12
सितंबर 2015 को शिक्षा मित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन निरस्त
कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि टीईटी पास किए बगैर शिक्षा मित्रों को
सहायक अध्यापक नहीं बनाया जा सकता। प्रदेश सरकार, बेसिक शिक्षा परिषद और
शिक्षा मित्रों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
कोर्ट आजकल मामले पर नियमित सुनवाई कर रहा है।
मंगलवार को बहस के दौरान प्रदेश सरकार और शिक्षा मित्रों की नियुक्ति और समायोजन का पूरा ब्योरा कोर्ट के सामने
रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि तीन चरणों में शिक्षा मित्रों की नियुक्ति
हुई थी। 1999 में 10000 फिर वर्ष 2000 में 70000 और वर्ष 2005 में 90000
शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई। कुल 170000 शिक्षा मित्रों की नियुक्ति
हुई। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि क्या पद के लिए विज्ञापन निकाला गया था
और उसमें क्या मानक थे। lawyer ने कहा कि हां, विज्ञापन निकला था। कोर्ट ने
अगली सुनवाई पर भर्ती का निकाला गया विज्ञापन पेश करने को कहा है।
शिक्षामित्रों की ओर से वरिष्ठ lawyer राम जेठमलानी और शांतिभूषण ने बहस
की। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने आदेश देने से पहले शिक्षा मित्रों को
नोटिस जारी नहीं किया था।
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