मित्रों जैसा कि आप जानते हैं कि आज शासन पर वार्ता होना थी जिस के क्रम
में आज हम लोग वार्ता के लिए पहुंचे। वार्ता शुरू होते ही अपर प्रमुख सचिव
ने सीधे मत रखा कि रस 10000 मानदेय स्वीकार हो तो लो, अन्यथा इससे ज्यादा
हम नहीं दे सकते। जिस पर हम लोगों ने उनकी कोई बात न सुनी और आगे भी किसी
बिंदु पर कोई बात नहीं करते हुए बैठक का बायकॉट करके बाहर चले आए। और
वार्ता विफल रही।
मित्रों यह अधिकारियों की और सरकार की तानाशाही है। इससे अब निपटना ही है। आप लोग आंदोलन की पूर्ण रुप से तैयारी कीजिए. और जिस तरह से कार्यक्रम दिया गया है उस के अनुपालन में धरना प्रदर्शन कीजिए। यदि 19 अगस्त तक सरकार की तानाशाही टूटती है और हमारी मांगे मानी जाती है तो ठीक नहीं तो 21 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में किया जाएगा। और जरूरत पड़ी तो आमरण अनशन भी करने से पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन इस तानाशाही सरकार को और अधिकारियों को झुका कर ही रहेंगे। और अपने अधिकार व मान सम्मान पाकर ही रहेंगे। भले ही इसके लिए हमें जिले से लेकर लखनऊ तक और लखनऊ से लेकर संसद तक आंदोलन करना पड़े।
आप सभी को सादर अवगत कराना है कि शासन स्तर एवं विभागीय उच्चाधिकारियों से संगठन की कई दौर की वार्ता और सहमति के बावजूद शिक्षक समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा रहा है। शासन स्तर पर कर्मचारी औऱ शिक्षकों मे भेद भाव उत्पन्न करते हुए शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। अत: संगठन को शिक्षक हित में धरना प्रदर्शन की ओर लौटने पर मजबूर होना पड़ा है।
शिक्षा मित्रों का आरोप है कि राज्य सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है। वह चाहे तो नियम बनाकर शिक्षा मित्रों को पूर्ण अध्यापक का दर्जा दे सकती है।
इसी के साथ……
जय शिक्षक…….
जय शिक्षा मित्र……
आपका,
जितेंद्र शाही,
विश्वनाथ सिंह कुशवाहा,
एवं सहयोगी संगठन,
लेखक,
सय्यद जावेद मियाँ,
आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश।
मित्रों यह अधिकारियों की और सरकार की तानाशाही है। इससे अब निपटना ही है। आप लोग आंदोलन की पूर्ण रुप से तैयारी कीजिए. और जिस तरह से कार्यक्रम दिया गया है उस के अनुपालन में धरना प्रदर्शन कीजिए। यदि 19 अगस्त तक सरकार की तानाशाही टूटती है और हमारी मांगे मानी जाती है तो ठीक नहीं तो 21 अगस्त से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में किया जाएगा। और जरूरत पड़ी तो आमरण अनशन भी करने से पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन इस तानाशाही सरकार को और अधिकारियों को झुका कर ही रहेंगे। और अपने अधिकार व मान सम्मान पाकर ही रहेंगे। भले ही इसके लिए हमें जिले से लेकर लखनऊ तक और लखनऊ से लेकर संसद तक आंदोलन करना पड़े।
आप सभी को सादर अवगत कराना है कि शासन स्तर एवं विभागीय उच्चाधिकारियों से संगठन की कई दौर की वार्ता और सहमति के बावजूद शिक्षक समस्याओं का निराकरण नहीं किया जा रहा है। शासन स्तर पर कर्मचारी औऱ शिक्षकों मे भेद भाव उत्पन्न करते हुए शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। अत: संगठन को शिक्षक हित में धरना प्रदर्शन की ओर लौटने पर मजबूर होना पड़ा है।
शिक्षा मित्रों का आरोप है कि राज्य सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है। वह चाहे तो नियम बनाकर शिक्षा मित्रों को पूर्ण अध्यापक का दर्जा दे सकती है।
जय शिक्षक…….
जय शिक्षा मित्र……
आपका,
जितेंद्र शाही,
विश्वनाथ सिंह कुशवाहा,
एवं सहयोगी संगठन,
लेखक,
सय्यद जावेद मियाँ,
आदर्श समायोजित शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश।

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