16 October, 2017

25 साल बाद फिर यूपी बोर्ड में वैदिक गणित की पढ़ाई

इलाहाबाद1‘गणित के सवाल मिनटों में सूत्र के जरिये हल होते हैं।’ इस कहावत की जननी है वैदिक गणित। यूपी बोर्ड भले ही सीबीएसई के पाठ्यक्रम को अपनाने जा रहा है लेकिन, छात्र-छात्रओं को वैदिक गणित भी पढ़ाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं, ताकि वह कठिन से कठिन प्रश्नों का चुटकी बजाते जवाब दे सके। यूपी बोर्ड के लिए वैदिक गणित का पाठ्यक्रम कोई नई बात नहीं है, बल्कि 25 साल बाद वह दोबारा पाठ्यक्रम को जगह देने की जुगत कर रहा है।

माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी UP Board ने 1992 में तत्कालीन कल्याण सिंह सरकार में वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल किया था। इस पाठ्यक्रम को आत्मसात करने की वजह छात्र-छात्रओं को कठिन लगने वाले गणित विषय को आसानी से पढ़ाये जाने की तमाम विधियां रही हैं। असल में वैदिक गणित के जन्मदाता स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ ने ऐसे सूत्र बनाए जिनके जरिये बच्चों को बिना पहाड़ा पढ़े गणित का सवाल हल करने की कला आ जाती है। स्वामी तीर्थ ने सारे सूत्र संस्कृत में लिखे हैं लेकिन, उनमें से अधिकांश का हंिदूी में भी उपलब्ध हैं। वैदिक गणित में सात विधियों का प्रयोग करके जोड़, घटाना, गुणा और भाग आसानी से किया जा सकता है। इसका सबसे अधिक लाभ प्रतियोगी परीक्षाओं में उठाया जा सकता है।

पिछले दिनों शासन स्तर पर यूपी बोर्ड के अफसरों के साथ हुई बैठक में वैदिक गणित को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का निर्देश हुआ है। माना जा रहा है कि जल्द ही वैदिक गणित के पारंगत पाठ्यक्रम समितियों के सदस्यों को बुलाकर विमर्श शुरू होगा। तैयारी है कि आगामी नए शैक्षिक सत्र से सीबीएसई का पाठ्यक्रम लागू हो। यूपी बोर्ड ने 70 फीसद हिस्सा सीबीएसई के एनसीईआरटी का किताबों का लिया है, जबकि 30 फीसद पाठ्यक्रम बोर्ड में पहले से संचालित है। इसी में वैदिक गणित को जोड़े जाने की तैयारी है। बोर्ड के सूत्र बताते हैं कि 1992 में यह पाठ्यक्रम जुड़ा था लेकिन, बाद की सरकारों ने इससे किनारा कर लिया, हालांकि छात्र-छात्रओं में इसकी पढ़ाई को लेकर उत्साह रहा है।

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