डेढ़ लाख से अधिक बच्चे होंगे दक्ष: राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने इन आदिवासी क्षेत्रों के लिए विशेष कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया है। कर्सिव राइटिंग वर्कबुक की डिजाइन करवाकर 85 ब्लॉक के स्कूलों में भेज दिया गया है। फिलहाल ये वर्कबुक कक्षा तीसरी के बच्चों को दी गई है। लिखने के लिए पेंसिल भी दी गई है। डेढ़ लाख से अधिक बच्चों को इसका लाभ मिलेगा।
पायलट प्रोजेक्ट में जांचेंगे उपलब्धि : एससीईआरटी का कहना है कि कर्सिव राइटिंग बुक बांटने का लक्ष्य बच्चों की हैंडराइटिंग सुधारना है, इसलिए अभी की राइटिंग और छह महीने बाद बच्चों की राइटिंग का आकलन किया जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर अगले साल अन्य कक्षाओं में भी बच्चों को कर्सिव राइटिंग बुक दी जाएगी।
पहली बार देखी राइटिंग सुधारने की जुगत : दंतेवाड़ा के जिला शिक्षा अधिकारी दुब्बा समैया ने स्वीकार किया कि अब तक कभी भी आदिवासी बच्चों को कर्सिव राइटिंग की वर्कबुक नहीं मिली थी। इसलिए इस बुक को लेकर बच्चों में उत्साह है। आदिवासी इलाकों में गीदम, दंतेवाड़ा, कटेकल्याण, कोवाकोंडा, कोण्डागांव, फरसगांव, केसकाल, बड़ेराजपुर, माकड़ी आदि शामिल हंै।
वीडियो कांफ्रेसिंग से बताया क्या है कर्सिव बुक: शिक्षा विभाग ने सभी आदिवासी विकासखंडों के डीईओ को अंग्रेजी के अल्फाबेट लेखन के लिए इनके लेटर्स का स्वाभाविक क्रम दिया है। इसमें अभ्यास की शुरुआत मूल स्ट्रोक्स और कर्वज से होते हुए अंग्रेजी के वाक्य समूह पर खत्म हो रही है। फिलहाल यह कक्षा तीन के विद्यार्थियों के लिए बनाई गई है। शिक्षकों को भी कर्सिव राइटिंग आसानी से सिखाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
मिंटू बोला एबीसीडी: शिक्षा अधिकारियों की मानें तो उन्हीं के सामने कोरिया जिले के बैंकुंठपुर विकास खंड के प्राइमरी स्कूल मूदिझरिया के कई बच्चों से बात हुई। मिंटू नामक एक बच्चे के पास कई दिन पहले से कसिर्ंग राइटिंग बुक है। अफसरों के समक्ष ही इस बच्चे ने एबीसीडी का उच्चारण किया। बच्चों ने कहा, इससे पहले ऐसी कॉपी कभी नहीं देखी।
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