26 October, 2017

लिखित परीक्षा का चयन बोर्ड को जिम्मा!

इलाहाबाद : भाजपा सरकार ने  के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा कराने का एलान किया है। यह परीक्षा कराने का जिम्मा माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र को देने की तैयारी है। शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में शासन को प्रस्ताव भेज दिया है, अब शासन के निर्देश का इंतजार हो रहा है। इसके बाद तेजी से तैयारियां शुरू होंगी।

परिषदीय स्कूलों में शिक्षक भर्तियां मेरिट के आधार पर होती रही हैं। जिलों को आवंटित पदों के सापेक्ष बेसिक शिक्षा अधिकारी काउंसिलिंग कराकर नियुक्ति करते थे, लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार ने भर्तियों में पारदर्शिता लाने के लिए लिखित परीक्षा कराने का प्रावधान किया है। दिसंबर में 68 हजार 500 शिक्षकों की भर्ती होना प्रस्तावित है। इसके लिए प्रश्नपत्र आदि बनाने का कार्य तेजी से चल रहा है। सभी जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों से प्रश्नपत्र के संबंध में सुझाव मांगे जा चुके हैं।

इसी बीच शिक्षा निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव दिया है कि इसकी लिखित परीक्षा माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र से कराई जाए, क्योंकि यह संस्था माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व एलटी ग्रेड शिक्षकों की परीक्षा कराती आ रही है। इस पर शासन को अंतिम निर्णय लेना है। कुछ अफसरों का यहां तक कहना है कि शासन ने ही चयन बोर्ड का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया था, उसी का अनुपालन हुआ है। अब शासन के निर्देशों का इंतजार हो रहा है इसके बाद परीक्षा की तैयारियां शुरू होंगी।

निदेशालय ने परीक्षा संस्था तय करने की गेंद शासन के पाले में डाल दी है। ज्ञात हो कि उप्र की शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपी टीईटी बीते 15 अक्टूबर को कराई जा चुकी है। उसकी आंसर शीट भी जारी हो चुकी है और आपत्तियां ली गई हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने 30 नवंबर तक इसका परिणाम घोषित करने का पहले ही एलान किया है। माना जा रहा है कि इसके बाद ही शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ेगी।’>>बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों की शिक्षक भर्ती का मामला 1’>>शिक्षा निदेशालय ने शासन को भेजा प्रस्ताव, अब निर्देश का इंतजार

कवायद बोर्ड न होने से फंसेगा परीक्षा पेंच 1माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र के अध्यक्ष हीरालाल गुप्त व सभी सदस्य अपने पद से त्यागपत्र दे चुके हैं। यहां का चयन बोर्ड एक तरह से भंग है। बिना बोर्ड के कोई भी परीक्षा कराना संभव नहीं है। शासन के निर्देश पर चयन बोर्ड और उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग उप्र का विलय करके नया बोर्ड बनना है। यदि शासन चाहेगा तो इस बीच नए बोर्ड का गठन कर सकता है। हालांकि इतने कम समय में बोर्ड गठित करना भी आसान नहीं होगा। चयन बोर्ड के उप सचिव नवल किशोर ने कहा कि उन्हें परिषदीय स्कूलों की शिक्षक भर्ती कराने का कोई निर्देश नहीं मिला है, लेकिन शासन जो आदेश देगा उसका अनुपालन किया जाएगा।

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