लखनऊ। धरना प्रदर्शन और कई चरण की वर्ताओं की लाख कोशिशों के बाद भी
योगी सरकार के सामने समान वेतन समान कार्य समेत दूसरी मांगों को मनवाने में
असफल शिक्षामित्र अब सुप्रीम कोर्ट में अपने तमाम पक्ष मजबूती से रखकर एक
बार फिर से राहत की उम्मीद कर रहे।
बता दें कि 25 जुलाई को शिक्षामित्रों का समायोजन उमा देवी केस, आरक्षण व टीईटी को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट इलाहाबाद के आदेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराने के बाद से वेतनमान समेत अन्य सुविधाओं से वंचित हुए शिक्षामित्र लगातार अपनी पुरानी जगह वापस स्थापित होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने आज इस बारे में बताया कि हमारा संगठन शिक्षामित्रों की दिक्कतों को देखते हुए संविधान पीठ तक मजबूती से लड़ाई लड़ेगा। शिक्षामित्रों ने सभी मानकों का अनुपालन किया है साथ ही संगठन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 22 अगस्त को पुनर्विचार याचिका भी दायर की गई है। साक्ष्यों के आधार पर हमे पूरी उम्मीद है कि देश की सर्वोच्च न्यायलय से सामायोजित हो चुके एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों समेत लगभग एक लाख 70 हजार शिक्षामित्रों के परिवारवालों को न्याय जरूर मिलेगा।
वहीं मामले की पैरवीकर्ताओं का कहना है कि 2014 में शिक्षामित्रों के सामायोजन के लिए तत्कालीन सरकार की ओर से विज्ञापन जारी किया गया था, उसमे साफ तौर पर बीटीसी, दूरस्थ बीटीसी, विष्टि बीटीसी व उर्दू बीटीसी को अवसर दिया गया था। जिसका साक्ष्य आज भी उन लोगों के पास मौजूद है।
दूसरी ओर शिक्षामित्रों को टीईटी की छूट पर पैरवीकर्ताओं का तर्क है कि 14 जनवरी 2011 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा स्नातक शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित टीचर मानते हुए एक लाख 24 हजार शिक्षामित्रों को सेवारत प्रशिक्षण दो वर्षीय डीईएलईडी (बीटीसी) कोर्स कराया गया। आज प्रदेश के शिक्षामित्र प्रशिक्षित है। इनको प्रशिक्षण दिलाने का आदेश भी एनसीईटीई ने ही पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा को दिया था।
23 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने नोटिफीकेशन जारी करते हुए देश भर में टीईटी लागू किया। जब एनसीटी ने शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित टीचर माना था तो इन पर अब टीईटी की बाध्यता क्यों थोपी जा रही है। साथ ही 23 अगस्त से पहले जो भी अप्रशिक्षित अध्यापक है उन्हें टीईटी से छूट दे गई थी।
वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे के दूसरे दिन उनके कार्यक्रम में हंगामा करने और काला झंण्डा दिखाने का प्रयास करने के आरोप में वाराणसी जिला कारागार में बंद 37 शिक्षामित्रों से आज उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकत कर न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।
शिक्षामित्र नेताओं ने जेल में बंद शिक्षामित्रों से कहा कि शिक्षामित्रों का किसी भी प्रकार का उत्पीड़न बरदाशत नहीं किया जाएगा। आगामी छह अक्टूबर को वाराणसी जिला जज के यहां होने वाली सुनवाई में उन्हें परिस्थितियों और शिक्षामित्रों की दिक्कतों को देखते हुए जमानत जरूर मिल जाएगी। इसके लिए उन लोगों के वकील भी जिला जज के सामने शिक्षामित्रों को इंसाफ देने की बात रखेंगे।
शिक्षामित्रों से मिलने जिला कारागार पहुंचने वालों में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश संरक्षक शिवकुमार शुक्ला, मंडल अध्यक्ष वाराणसी भूपेन्द्र सिंह यादव, जिलाध्यक्ष चंदौली इंद्राजीत यादव, जिलाध्यक्ष फैजाबाद दुर्गेश मिश्रा, जिला अध्यक्ष अंबेडकरनगर केके दूबे, जिला उपाध्यक्ष चंदौली ओपी मौर्या व मनोज तिवारी आदि शामिल रहें।
बता दें कि 25 जुलाई को शिक्षामित्रों का समायोजन उमा देवी केस, आरक्षण व टीईटी को आधार बनाते हुए हाईकोर्ट इलाहाबाद के आदेश को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराने के बाद से वेतनमान समेत अन्य सुविधाओं से वंचित हुए शिक्षामित्र लगातार अपनी पुरानी जगह वापस स्थापित होने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने आज इस बारे में बताया कि हमारा संगठन शिक्षामित्रों की दिक्कतों को देखते हुए संविधान पीठ तक मजबूती से लड़ाई लड़ेगा। शिक्षामित्रों ने सभी मानकों का अनुपालन किया है साथ ही संगठन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में 22 अगस्त को पुनर्विचार याचिका भी दायर की गई है। साक्ष्यों के आधार पर हमे पूरी उम्मीद है कि देश की सर्वोच्च न्यायलय से सामायोजित हो चुके एक लाख 37 हजार शिक्षामित्रों समेत लगभग एक लाख 70 हजार शिक्षामित्रों के परिवारवालों को न्याय जरूर मिलेगा।
वहीं मामले की पैरवीकर्ताओं का कहना है कि 2014 में शिक्षामित्रों के सामायोजन के लिए तत्कालीन सरकार की ओर से विज्ञापन जारी किया गया था, उसमे साफ तौर पर बीटीसी, दूरस्थ बीटीसी, विष्टि बीटीसी व उर्दू बीटीसी को अवसर दिया गया था। जिसका साक्ष्य आज भी उन लोगों के पास मौजूद है।
दूसरी ओर शिक्षामित्रों को टीईटी की छूट पर पैरवीकर्ताओं का तर्क है कि 14 जनवरी 2011 को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा स्नातक शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित टीचर मानते हुए एक लाख 24 हजार शिक्षामित्रों को सेवारत प्रशिक्षण दो वर्षीय डीईएलईडी (बीटीसी) कोर्स कराया गया। आज प्रदेश के शिक्षामित्र प्रशिक्षित है। इनको प्रशिक्षण दिलाने का आदेश भी एनसीईटीई ने ही पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा को दिया था।
23 अगस्त 2010 को एनसीटीई ने नोटिफीकेशन जारी करते हुए देश भर में टीईटी लागू किया। जब एनसीटी ने शिक्षामित्रों को अप्रशिक्षित टीचर माना था तो इन पर अब टीईटी की बाध्यता क्यों थोपी जा रही है। साथ ही 23 अगस्त से पहले जो भी अप्रशिक्षित अध्यापक है उन्हें टीईटी से छूट दे गई थी।
वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे के दूसरे दिन उनके कार्यक्रम में हंगामा करने और काला झंण्डा दिखाने का प्रयास करने के आरोप में वाराणसी जिला कारागार में बंद 37 शिक्षामित्रों से आज उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकत कर न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया।
शिक्षामित्र नेताओं ने जेल में बंद शिक्षामित्रों से कहा कि शिक्षामित्रों का किसी भी प्रकार का उत्पीड़न बरदाशत नहीं किया जाएगा। आगामी छह अक्टूबर को वाराणसी जिला जज के यहां होने वाली सुनवाई में उन्हें परिस्थितियों और शिक्षामित्रों की दिक्कतों को देखते हुए जमानत जरूर मिल जाएगी। इसके लिए उन लोगों के वकील भी जिला जज के सामने शिक्षामित्रों को इंसाफ देने की बात रखेंगे।
शिक्षामित्रों से मिलने जिला कारागार पहुंचने वालों में उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के प्रदेश संरक्षक शिवकुमार शुक्ला, मंडल अध्यक्ष वाराणसी भूपेन्द्र सिंह यादव, जिलाध्यक्ष चंदौली इंद्राजीत यादव, जिलाध्यक्ष फैजाबाद दुर्गेश मिश्रा, जिला अध्यक्ष अंबेडकरनगर केके दूबे, जिला उपाध्यक्ष चंदौली ओपी मौर्या व मनोज तिवारी आदि शामिल रहें।
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