प्रदेश में बीएड और बीटीसी विद्यार्थियों के लिए छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई पर रोक लगा दी गई है। इस योजना में इन संस्थानों में लगातार मिल रहीं गड़बड़ियों पर शासन ने यह फैसला किया है। समाज कल्याण समेत सभी संबंधित विभागों को इस बारे में निर्देश दे दिए गए हैं।
बीएड
और बीटीसी संस्थानों को इस मद में किए गए भुगतान की जांच कराई जा रही है।
शासन स्तर से कराई जा रही शुरुआती जांच में लखनऊ के टीडीएल कॉलेज ऑफ
इंजीनियरिंग, सिटी कॉलेज, विकट इंस्टीट्यूट और कानपुर के श्री शक्ति डिग्री
कॉलेज में ही गड़बड़ियां मिलीं। यह जांच संबंधित जिला प्रशासन के माध्यम
से कराई गई थी। लखनऊ के इन तीनों संस्थानों में किसी भी शिक्षक के वेतन
संबंधी बैंक साक्ष्य नहीं मिले। जबकि, नियम है कि भुगतान राशि अनिवार्य रूप
से बैंक खाते में ही भेजी जाएगी। जांच टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि
संस्थानों में अध्ययन-अध्यापन का कार्य नहीं हो रहा था। सिर्फ प्रवेश लेने
और परीक्षा कराने तक ही इनकी भूमिका सीमित है। कानपुर के श्री शक्ति डिग्री
कॉलेज में 17 शिक्षकों में से 10 ही परीक्षा नियामक प्राधिकारी के यहां से
अनुमोदित मिले।
सूत्रों के मुताबिक, अभी अन्य जिलों की रिपोर्ट
नहीं आई है, मगर वहां भी जबरदस्त गड़बड़ियों की आशंका जताई गई है। इसके
मद्देनजर शासन ने छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के तहत बीएड और
बीटीसी पाठ्यक्रम के लिए दी जाने वाली राशि को जारी करने की अनुमति नहीं दी
है। शेष पाठ्यक्रमों को पहले की ही तरह राशि जारी करने की अनुमति दे दी
है। प्रदेश में बीएड के करीब तीन हजार और बीटीसी के 2300 संस्थान हैं। इस
योजना में कुल बजट की करीब 40 फीसदी राशि इन्हीं दो पाठ्यक्रमों पर खर्च
होती है। शासन के सूत्रों के मुताबिक, जिन जिलों में जांच कराई जा रही है,
उन सभी जगहों से रिपोर्ट आने के बाद ही इन पाठ्यक्रमों में भुगतान के बाबत
अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
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