गोंडा। जिले में माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी नियुक्तियों के मामले में कई बड़ों तक जांच की आंच पहुंच सकती है। बेसिक शिक्षा में भर्तियों की जांच एसआईटी और एसटीएफ कर रही है तो माध्यमिक की जांच ईओडब्लू कर रही है। माना जा रहा है कि मामले की जांच में नियुक्तियों में नियमों की अनदेखी के मामले में दो पूर्व डीआईओएस की मुश्किलें भी बढ़ सकती है।
जिले
के सात सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 40 शिक्षक और छह
कर्मचारियों की नियुक्तियां नियमों के विपरीत मिलीं थीं। साल 2018 मे इस
मामले में कार्रवाई भी हुई थी। मामले की जांच आयुक्त ने तीन सदस्यीय टीम से
कराई थी, इसके बाद भी पूरी तरह से स्थिति साफ नही हो पाई थी।
जिन
कालेजों में नियुक्तियां हुईं थी वह जिले प्रभावशाली लोगों से जुड़े हुए
थे। माना जा रहा है कि नियुक्तियों से इंटर कॉलेजों में एक ओर जहां की गणना
प्रभावित हुुई वहीं सरकार को राजस्व क्षति भी हुुई थी। ऐसे में मामले की
जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा को सौंपी गई है। इससे सरकार को हुए आर्थिक
नुकसान की जांच भी सामने आएगी।
वर्ष 2018 में राम खेलावन वर्मा
के निलंबन के बाद तत्कालीन डीआईओएस हृदय नरायण त्रिपाठी ने विद्यालयों के
शिक्षकों का वेतन रोक दिया। बताया गया कि इन विद्यालयों में 46 नियुक्तियां
फर्जी पाई गई हैं। इनमें 40 शिक्षक के पद पर तथा छह चतुर्थ श्रेणी के पद
पर तैनात किए गए हैं।
एपी इंटर कॉलेज में 12 शिक्षक तथा तीन
चतुर्थ श्रेणी कर्मी, आरपी इंटर कॉलेज में दो शिक्षक व दो चतुर्थ श्रेणी
कर्मी, डीपी इंटर कॉलेज में दो, श्री गांधी विद्यालय इंटर कॉलेज में दो
शिक्षक व एक चतुर्थ श्रेणी कर्मी, एमडीबी सिंह इंटर कॉलेज तरबगंज में पांच
शिक्षक, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी इंटर कॉलेज तीन, डीएवी इंटर कॉलेज में चार,
सुभाष इंटर कॉलेज में चारी तथा जनता इंटर कॉलेज अमदही में छह शिक्षकों की
नियुक्ति प्रथम दृष्टया फर्जी पाई गई थीं।
आर्थिक अपराध अनुसंधान
ने जिले में अनाज घोटाले की जांच पहले किया था। वर्ष 2005 में एक साथ 36
मुकदमे जिले में भ्रष्टाचार के दर्ज कराए गए थे। कई सालों तक ईओडब्लू ने ही
मामले की जांच किया था।
उस समय के जिला पंचायत अध्यक्ष, अपर
मुख्य अधिकारी, सीडीओ समेत एक दर्जन अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ
केस दर्ज हुए थे। यहां तक आधा दर्जन ब्लाक प्रमुख भी एफआईआर में शामिल रहे
और बाद में जेल भी गए थे। अब माध्यमिक शिक्षा में जांच से लोगों की धुकधुकी
बढ़ी हुई है।
अब ईओडब्लू करेगी शिक्षक भर्ती की जांच
गोंडा।
दस इंटर कॉलेजों में 38 शिक्षकों की भर्ती मामले की जांच अब आर्थिक अपराध
अनुसंधान शाखा ईओडब्लू करेगी। भर्ती में फर्जीवाड़ा सामने आने पर वर्ष 2018
में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक राम खेलावन वर्मा को शासन ने निलंबित
कर दिया था। उसके बाद शिक्षकों के वेतन भुगतान भी रोक दिए गए थे। मामले की
शिकायत शासन स्तर से हुई और आयुक्त ने जांच कराकर उच्चस्तरीय जांच की
संस्तुति की थी।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के इंटर
कॉलेजों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े हुए थे। उसमें करीब 38 शिक्षकों की
भर्ती में शासन के आदेशों की अनदेखी की गई थी। शिक्षक लगातार वेतन भुगतान
की मांग कर रहे थे और अधिकारियों की ओर से वेतन रोक दिए गए थे। नियुक्ति
में नियमों की अनदेखी करने के आरोप में तत्कालीन डीआईओएस तो निलंबित हुए
लेकिन मामले का निस्तारण नहीं हो सका।
फर्जीवाड़ा
करने वाले विभाग के अन्य कर्मी भी बचने में सफल हो गए थे। शासन ने मामले
की जांच ईओडब्लू को सौंपी है और कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। ईओडब्लू के
निरीक्षक धर्मपाल सिंह को मामले की जांच मिली है। उन्होंने जिला विद्यालय
निरीक्षक से पूरे प्रकरण से जुड़े अभिलेख मांगे हैं। बताया जा रहा है कि
एक-दो दिनों में जांच में तेजी आएगी। इस मामले में दस स्कूलों के प्रबंधकों
की भी मुश्किलें बढ़नी तय है।
स्कूल प्रबंधक व डीआईओएस कार्यालय में थी गठजोड़
शिक्षकों
की नियुक्ति मामले में कॉलेज के प्रबंधकों और डीआईओएस कार्यालय में गठजोड़
की बात भी सामने आई थी। फरवरी 2018 में तत्कालीन डीआईओएस एसएन त्रिपाठी ने
दो लिपिकों को कार्यालय से कार्यमुक्त भी किया था। बताया जा रहा है कि
लिपिकों के जरिये ही पूरे मामले की डीलिंग होती थी। उस समय डीआईओएस के सबसे
करीबी दो लिपिकों का अलग की रुतबा था। जांच में प्रबंधकों की भूमिका सामने
आना तय माना जा रहा है। शिक्षकों की नियुक्ति के लिए भी सारा खेल डीआईओएस
कार्यालय में ही हुआ था।
कई बड़ों तक पहुंच सकती है जांच, बढ़ेंगी मुश्किलें
शासन
की ओर से ईओडब्लू से शिक्षक भर्ती मामले की जांच कराए जाने के फैसले की
खासी चर्चा है। जिन इंटर कॉलेजों में नियुक्तियां हुईं थीं, उनके प्रबंधक
कई बड़े लोग हैं। राजनीतिक व्यक्तियों के कॉलेज होने के कारण स्थानीय स्तर
से जांच में रुकावटें आती थीं। इसलिए अब शासन ने उच्चस्तरीय जांच शुरू कराई
है। मामले की जांच में सहयोग के लिए जिलाधिकारी मार्कंडेय शाही ने जिला
विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार को नोडल नामित किया है। उन्होंने जांच में
सहयोग के निर्देश दिए हैं।
38 शिक्षकों की भर्ती मामले की जांच
ईओडब्लू ने शुरू की है। इसके बारे में जिलाधिकारी की ओर से नोडल नामित किया
गया है। जांच में पूरा सहयोग दिया जा रहा है।
-राकेश कुमार, डीआईओएस
जिले
के इंटर कॉलेजों में शिक्षक भर्ती की जांच शुरू की गई है। जिला विद्यालय
निरीक्षक से जांच में सहयोग के लिए पत्र लिया गया है। जल्द ही जिले में आकर
जांच आगे बढ़ाई जाएगी।
-धर्मपाल सिंह, निरीक्षक ईओडब्लू
0 comments:
Post a Comment