प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की भर्ती
परीक्षाओं की 21 नवंबर 2017 से जांच कर रही सीबीआइ के हाथ अभी तक खाली हैं।
जांच के निशाने पर आयोग के अधिकारी व कर्मचारी भी हैं। लेकिन, उनके खिलाफ
जांच के लिए आयोग अनुमति नहीं दे रहा है। यही कारण है कि लगभग 598 भर्ती
परीक्षाओं व परिणामों की जांच कर रही सीबीआइ किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच
पायी है। सीबीआइ जांच की मांग करने वाले प्रतियोगी आयोग पर अपने अधिकारियों
को बचाने का आरोप लगा रहे हैं।
प्रतियोगी
छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष व सीबीआइ जांच की पैरवी करने वाले अवनीश
पांडेय ने सोमवार को आयोग अध्यक्ष संजय श्रीनेत को पत्र लिखा है। उन्होंने
अध्यक्ष से सीबीआइ को अभियोजन स्वीकृति की अनुमति प्रदान करने की मांग की
है, जिससे जांच प्रक्रिया आगे बढ़ सके। सीबीसीइ ने फरवरी 2021 में प्रदेश
सरकार व लोकसेवा आयोग से यूपीपीएससी में कार्यरत सात अधिकारियों के खिलाफ
एफआइआर दर्ज करने की अनुमति मांगी थी। इस पर शासन ने यूपीपीएससी से अभियोजन
स्वीकृति के लिए अनुमति देने को कहा था। लेकिन, यूपीपीएससी की ओर से उसकी
स्वीकृति दिए बगैर अप्रैल महीने में फाइलें वापस शासन को भेज दी गईं। इससे
जांच प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पा रही है।
अवनीश का
कहना है कि तत्कालीन अध्यक्ष डा. प्रभात कुमार ने जाते-जाते अपने चहेतों
का बचाव किया था। इससे सीबीआइ द्वारा मांगा गया अभियोजन पुन: शासन के पास
पहुंचकर ठंडे बस्ते में पड़ा है। आयोग अध्यक्ष को भेजे पत्र की प्रतिलिपि
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव भारत सरकार,
सचिव कैबिनेट भारत सरकार, मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन को प्रेषित की गई
है। अगर उसके अनुरूप उचित कार्रवाई न हुई तो कोर्ट के जरिये कार्रवाई करवाई
जाएगी।
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