लखनऊ : नई स्टार्टअप नीति से प्रदेश में 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष और एक लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। स्टार्ट-अप नीति से युवा रोजगार प्रदाता भी बनेंगे। इस नीति का लक्ष्य स्टार्टअप रैंकिंग में प्रदेश को टॉप तीन में स्थान दिलाना है। यह बात पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआइ) उत्तर प्रदेश चैप्टर, नाबार्ड, सिडबी एवं ए एंड ए ग्रुप आफ कंपनीज के सहयोग से आयोजित वर्चुअल संवाद सत्र में राज्य मंत्री आइटी और इलेक्ट्रानिक्स अजीत सिंह पाल ने कही।
वेबिनार
का उद्देश्य स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गईं
विभिन्न योजनाओं और सुविधाओं का प्रसार और चर्चा करना था। राज्य मंत्री ने
कहा कि मुख्यमंत्री आइटी सेक्टर के उन्नति के लिए निरंतर प्रयासरत हैं।
आइटी सेक्टर और स्टार्टअप क्षेत्र को निरंतर नए आयाम देने के लिए कोशिश कर
रहे हैं। मेडिकल क्षेत्र में आइटी सेक्टर की उल्लेखनीय भूमिका है। हर जिले
में कम से कम एक इनक्यूबेटर की स्थापना की जा रही है। अभी तक प्रदेश में सौ
इन्क्यूबेटर स्थापित किए जा चुके है। इन्क्यूबेटर्स को सब्सिडी के साथ
संचालन के लिए आíथक सहायता भी मुहैया कराई जा रही है। सरकारी खरीद में
स्टार्ट-अप को वरीयता दी जा रही है। भरण-पोषण भता, पेटेंट फाइल करने की
लागत की प्रतिपूíत की जा रही है और स्टार्ट अप फंड से उन्हें मदद दिलाई जा
रही है। विश्वविद्यालयों और विद्यालयों में नवाचार व उद्यमिता विकास के
पाठ्यक्रम शामिल किए जा रहे है। वेबिनार में संजय अग्रवाल प्रेसिडेंट
पीएचडी चैंबर और मुकेश सिंह सीनियर सलाहकार ने भी भाग लिया।
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