सिद्धार्थनगर : सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में हुई मनोविज्ञान
संकाय के असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया का मामला इंटरनेट मीडिया में
चर्चा का विषय बना है। लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं। यह भी सवाल पूछा जा रहा
है कि शैक्षिक योग्यता में पिछड़ने के बाद डा. अरुण द्विवेदी ने कैसे बाजी
मार ली। जबकि विश्वविद्यालय की ओर से जारी शैक्षिक योग्यता व प्राप्त
अवार्ड पर आधारित पहली मेरिट लिस्ट में वह दूसरे नंबर पर चल रहे थे।
साक्षात्कार के बाद चयन सूची में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
सिविवि
में मनोविज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर दो पद पर चयन प्रक्रिया की।
आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग में 150 लोगों ने आवेदन किया था। विवि
प्रशासन ने शैक्षिक योग्यता व प्राप्त अवार्ड के आधार पर अभ्यर्थियों की
स्क्रीनिंग की। दस की सूची तैयार की गई। इसमें पहले स्थान पर राजेश कुमार
झा रहे। इन्हें 81 अंक प्राप्त हुए थे। दूसरे पर 80 अंक के साथ डा.अरुण
कुमार उर्फ डा. अरुण कुमार द्विवेदी रहे। तीसरे नंबर स्थान पर रामकीर्ति
सिंह थे। इसके बाद साक्षात्कार की प्रक्रिया पूरी हुई। जिसमें एक अभ्यर्थी
अनुपस्थित था, नौ ने साक्षात्कार दिया।
’शैक्षिक योग्यता व प्राप्त अवार्ड पर आधारित मेरिट लिस्ट में प्रथम स्थान पर थे राजेश कुमार झा
’आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग में 150 अभ्यर्थियों ने किया था आवेदन
’छह सदस्यीय टीम ने नौ अभ्यर्थी का लिया था साक्षात्कार, एक रहा अनुपस्थित
छह सदस्यीय टीम ने लिया था साक्षात्कार
छह
सदस्यीय टीम के सदस्यों ने मेरिट लिस्ट के नौ अभ्यर्थियों का साक्षात्कार
लिया था। बोर्ड के नामित अध्यक्ष कुलपति प्रो.सुरेंद्र दुबे रहे। सदस्य के
रूप में राजभवन की ओर से नामित दो विषय विशेषज्ञ, एक कला संकाय के डीन,
पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित बोर्ड के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। इन्होंने मानक के
अनुरूप सभी अभ्यर्थियों से विषय व अन्य सामान्य जानकारी से संबंधित प्रश्न
पूछे थे।
आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के सभी
परीक्षा में प्राप्त अंक व उन्हें मिलने वाले अवार्ड को आधार बनाकर
स्क्रीनिंग हुई थी। इसी के आधार वरीयता सूची बनाई गई। जो मानक को पूरा कर
रहे थे, उन्हें साक्षात्कार के बुलाया गया। साक्षात्कार लेने वाली टीम के
सदस्यों के नाम व उनसे संबंधित जानकारी गोपनीय रखी जाती है।
राकेश कुमार, कुलसचिव
सिद्धार्थ विवि
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