सुल्तानपुर। बेसिक शिक्षा विभाग में एक व्यक्ति पिछले 25 वर्षों से
जिले के भावलपुर अंतू गांव निवासी शिवाकांत
ने 19 नवंबर 1994 को बस्ती जनपद के प्राथमिक विद्यालय बसघनवां विकास
क्षेत्र परसरामपुर में सहायक अध्यापक के रूप में नियुक्ति पाई थी। वहां से
22 जुलाई 1998 को इनका ट्रांसफर सिद्धार्थनगर जनपद के लिए हुआ था
सिद्धार्थनगर के प्राथमिक विद्यालय मुड़िया बुजुर्ग में 28 अगस्त 1998 को
शिवाकांत ने कार्यभार ग्रहण किया था। अंतरजनपदीय स्थानांतरण लेकर शिवाकांत
ने 23 मार्च 2002 को सुल्तानपुर जनपद में ज्वॉइन किया शिवाकांत को
प्रातपपुर कमैचा के प्राथमिक विद्यालय मानापुर में सहायक अध्यापक के रूप
में कार्यभार ग्रहण किया। पदोन्नति के
बाद दो दिसंबर 2004 को
इनकी नियुक्ति प्रतापपुर कमैचा के ही प्राथमिक विद्यालय राजपुर में
प्रधानाध्यापक के पद पर हुई। 30 जुलाई 2011 को समायोजन होने पर इन्हें उच्च
प्राथमिक विद्यालय पठखौली छतौना में विज्ञान शिक्षक के रूप में पदस्थापित
किया गया। वर्तमान समय में शिवाकांत प्रतापपुर कमचा के उच्च प्राथमिक
विद्यालय मूसेपुर सरैया में कार्यरत थे। इतने ट्रांसफर व पदस्थापन के
बावजूद फर्जी अभिलेख का मामला पकड़ में नहीं आ सका था। इसी दौरान वेतन बिल
के भुगतान के लिए ऑनलाइन फीडिंग की प्रक्रिया शुरू हुई तो बस्ती के वित्त
एवं लेखाधिकारी बेसिक ने 24 जुलाई 2020 को सुल्तानपुर के वित्त एवं
लेखाधिकारी को अवगत कराया कि शिवाकांत के नाम से निर्गत पैन नंबर से बस्ती
जनपद के कप्तानगंज विकास खंड क्षेत्र के उच्च प्राथमिक विद्यालय पिनेसर में
कार्यरत शिक्षक का वेतन रिलीज हो रहा है। इसी पैन नंबर पर अन्य व्यक्ति की
ओर से भी आईटीआर भरा जा रहा है। बस्ती लेखाधिकारी के पत्र पर जब मूसेपुर
सरैया में कार्यरत शिक्षक शिवाकांत से जवाब मांगा गया तो उसने जांच में कोई
सहयोग नहीं किया। शिवाकांत के पते पर रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजी गई।
बावजूद इसके शिवाकांत ने 27 जनवरी 2021 को मेडिकल अवकाश का ऑफलाइन पत्र भेज
दिया और रजिस्टर्ड डाक वापस करा दिया। मामले में तीन खंड शिक्षाधिकारियों
की जांच समिति गठित कर रिपोर्ट तलब की गई। जांच में पाया गया कि बस्ती में
कार्यरत शिवाकांत और जनपद में कार्यरत शिवाकांत दोनों के दस्तावेज समान
हैं। बस्ती में कार्यरत शिवाकांत ने जांच में पूर्ण सहयोग किया लेकिन जिले
के मूसेपुर में कार्यरत शिक्षक ने न तो सहयोग किया और न ही कोई नोटिस रिसीव
की। यही नहीं उसने अपना मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ कर रखा है। जांच समिति की
रिपोर्ट के आधार पर बीएसए दीवान सिंह यादव ने शिवाकांत को नियुक्ति तिथि
से बर्खास्त कर दिया है।
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