गजब की विडंबना है। एक तरफ प्रवक्ता और प्रधानाचार्य की कमी से प्रदेश भर के राजकीय इंटर कालेज जूझ रहे हैं तो दूसरी तरफ प्रवक्ता के लिए विभागीय पदोन्नति 12 साल से लटकी है। कई सहायक अध्यापक तो प्रवक्ता बनने के इंतजार में और कई प्रवक्ता, प्रधानाचार्य बनने का सपना लिए रिटायर हो गए। विभागीय पदोन्नति (डीपीसी) न होने से उन शिक्षकों को वह आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा, जिसके वह हकदार हैं। इसके साथ ही शिक्षकों की कमी से विद्यार्थियों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
नियमानुसार
शिक्षा विभाग में सीधी भर्ती एवं पदोन्नति का कोटा निर्धारित है। इसके
अनुसार राजकीय इंटर कालेजों में प्रवक्ता के 50 फीसद पद सीधी भर्ती से भरे
जाते हैं, शेष 50 फीसद पद विभागीय पदोन्नति कमेटी (डीपीसी) की संस्तुति पर
भरे जाने की व्यवस्था है। यहां हकीकत यह है कि प्रवक्ता पद पर विभागीय
पदोन्नति 2009 से नहीं हुई, जबकि यह प्रत्येक सत्र के अंत में होनी चाहिए।
इसी तरह प्रधानाचार्य पद पर पिछले आठ साल में 2013-14 बैच की डीपीसी जनवरी
2018 में हुई, जिसकी घोषणा बीते जून माह में हो पाई। इसके विपरीत सीधी
भर्ती में नियुक्त अभ्यर्थी अनवरत पदोन्नति के अवसर पा रहे हैं।
मामले
में राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री डा.रवि भूषण का कहना है कि
विभागीय कोटा में समय पर पदोन्नति न मिलने से सहायक अध्यापक व प्रवक्ताओं
में निराशा है। स्थिति यह है कि काफी संख्या में सहायक अध्यापक पदोन्नति
पाने की आस लिए 25-30 वर्षो की सेवा के बाद उसी पद से सेवानिवृत्त हो गए।
इनमें राम विहारी दुबे, अखिलेश चंद्र सिंह, प्रभाकर सिंह, घनश्याम जीआइसी
प्रयागराज, रामसकल यादव जीआइसी प्रतापगढ़ व महेंद्र कुमार सिंह जीआइसी
बलिया सहित कई नाम शामिल हैं। इसके अलावा पिछले दस वर्षो से गोपनीय आख्या
अनवरत रूप से मांगी जाती है। विगत वर्ष कुछ विषयों की महिला वर्ग में
पदोन्नति के बावजूद अभी तक पदस्थापन न होने से शिक्षिकाएं निराश हैं।
डा.भूषण
ने बताया कि प्रांतीय अध्यक्ष सुनील कुमार भड़ाना के साथ उन्होंने उप
मुख्यमंत्री एवं माध्यमिक शिक्षा मंत्री डा.दिनेश शर्मा को इन स्थितियों से
अवगत कराकर निराकरण की मांग की है, ताकि शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों
को न्याय मिल सके।
प्रवक्ता पदों के लिए 2009 से नहीं हुई विभागीय पदोन्नति, पद पड़े खाली
मांगी गई है गोपनीय आख्या : एडी
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