लखनऊ । राज्य सरकार ने पदोन्नति के लिए पांच वर्ष में 36 माह की
गोपनीय प्रविष्टि पूर्ण होना अनिवार्य कर दिया है। इसके पूर्ण न होने पर
पदोन्नति पर विचार नहीं किया जाएगा।
अपर
मुख्य सचिव कार्मिक देवेश चतुर्वेदी सोमवार को इस संबंध में आदेश जारी कर
दिया है। इसके मुताबिक राज्य के अधीन सेवाओं में सृजित या उपलब्ध पदों को
भरने के लिए मेरिट आधारित चयन प्रक्रिया की व्यवस्था 27 सितंबर 2019 को
निर्धारित की गई है। 48 माह से अधिक की प्रविष्टियां पूर्ण न होने की दशा
में चयन आस्थगित की व्यवस्था है। सामान्य मार्गदर्शक सिद्धांत व्यवस्था के
अनुसार पदोन्नति के लिए विभागीय चयन समिति द्वारा 120 माह यानी 10 वर्ष में
72 माह से अधिक की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियां के पूर्ण होने पर ही
पात्रता सूची में वर्गीकरण किया जाता है।
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