लखनऊ। शासन ने तय किया है। कि यदि किसी मृत सरकारी कर्मी की एक से
अधिक पत्नी हो तो पहली जीवित विधवा को ही भुगतान किया जाएगा। अपर मुख्य
सचिव वित्त एस. राधा चौहान ने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की मृत्यु होने
पर उनके अर्जित अवकाश के नकदीकरण की राशि पात्र आश्रित को देने के लिए
वरीयता का निर्धारण कर विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिया है।
वित्त
विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि कई बार कर्मचारियों की मृत्यु के बाद
सेवा संबंधी लाभों के लिए कई-कई दावेदार आ जाते हैं। इनमें एक से अधिक
पत्नियों के प्रकरण काफी पेचीदा बन जाते हैं। नियमानुसार कोई भी कर्मचारी
एक से अधिक विवाह नहीं कर सकता है। पर, मृत्यु के बाद कर्मचारी के खिलाफ
कोई कार्रवाई हो नहीं सकती। ऐसे में कई दावेदार होने पर उसके देयकों के
भुगतान व सेवा संबंधी लाभ के प्रकरण लंबे समय तक विवाद का विषय बने रहते
हैं। ऐसे में शासन ने एक सिद्धांत तय कर दिया है।
अपर
मुख्य सचिव वित्त ने कहा है कि एक से अधिक विधवाएं होने पर सबसे पहली
जीवित विधवा (पहली शादी की) को ही भुगतान का आदेश देते हुए सबसे बड़ी जीवित
विधवा का अर्थ भी स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने कहा है कि सबसे बड़ी जीवित
विधवा का अर्थ जीवित विधवाओं के विवाह के तिथि के अनुसार वरिष्ठता में
लगाया जाएगा, न की उनकी आयु के संदर्भ में ।
उन्होंने
आश्रित की वरीयता में विधवा या पति के न होने पर क्रम से सबसे बड़े जीवित
पुत्र, जीवित अविवाहित पुत्री, जीवित विधवा पुत्री, पिता, माता, सबसे बड़ी
जीवित विवाहित पुत्री, 18 वर्ष से कम आयु के सबसे बड़े जीवित भाई को, सबसे
बड़ी जीवित अविवाहित बहन को, सबसे बड़ी जीवित विधवा बहन को और मृत ज्येष्ठ
पुत्र के सबसे बड़े बच्चे को पात्र मानने की व्यवस्था दी है।
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