सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि
सहायता प्राप्त करना मौलिक अधिकार नहीं है और सरकार को शिक्षण संस्थानों को
मदद देने के बारे में फैसला करने के लिए वित्तीय बाधाओं और कमियों जैसे
कारकों को संज्ञान में लेना चाहिए।
कोर्ट
ने कहा कि जब सहायता प्राप्त संस्थानों की बात आती है तो अल्पसंख्यक और
गैर-अल्पसंख्यक संस्थान के बीच कोई अंतर नहीं हो सकता। जस्टिस एसके कौल व
जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा, सहायता प्राप्त करने का अधिकार मौलिक
अधिकार नहीं है। इसलिए किसी मामले में अगर सहायता रोकने का नीतिगत फैसला
लिया जाता है तो कोई संस्थान इसे अधिकार का विषय बताकर प्रश्न नहीं खड़ा कर
सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई संस्थान इस तरह की सहायता संबंधी शर्तो को
स्वीकार नहीं करना चाहता और उनका पालन नहीं करना चाहता तो अनुदान से इन्कार
करने और अपने ढंग से काम करने का फैसला लेने का अधिकार उसे है।
0 comments:
Post a Comment