नई दिल्ली: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी क्षेत्र की प्रमुख संस्थाओं की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि देश में 91 फीसद गांवों में सहकारी संस्थाओं की उपस्थिति है। देश में कुल 8.33 लाख प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसाइटी और 8.50 लाख क्रेडिट सोसाइटी हैं।
देश
के विभिन्न हिस्सों में 33 स्टेट कोआपरेटिव बैंक काम करते हैं, जबकि 363
जिला स्तरीय सहकारी बैंक हैं, जो उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करते हैं।
अब हमारा लक्ष्य है कि हर दूसरे गांव में एक पैक्स हो जाए। सोसाइटियां ही
खेती से जुड़ी हर वस्तुओं की आपूर्ति करें तो बेहतर होगा। फिलहाल कृषि ऋण
का 29 फीसद, उर्वरकों के वितरण में 35 फीसद, उत्पादन में 30 फीसद, चीनी
उत्पादन में 31 फीसद, दूध उत्पादन में 20 फीसद, गेहूं की खरीद में 13 फीसद
और धान खरीद में 20 फीसद सहकारी संस्थाओं की हिस्सेदारी है। शाह राष्ट्रीय
सहकारिता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र की
समस्याओं का समाधान हमारी प्राथमिकता है।
शाह ने
कहा, देश में हरित क्रांति को सफल बनाने में इफको की भूमिका अहम रही है।
यह इस समारोह की आयोजक और आज का हमारा यजमान भी है। इतनी बड़ी कंपनी अपने
शुद्ध लाभ की एक-एक पाई अपने सदस्यों को लाभांश के तौर पर किसानों के खाते
में जमा कराती थी। यह सिर्फ सहकारी कंपनी ही कर सकती है। निजी कंपनी के लाभ
का बड़ा हिस्सा तो उसके मालिक के खाते में जाता है। इफको की नैनो यूरिया
का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि उर्वरक के क्षेत्र में यह एक तरह की
क्रांति है। सहकारी संस्थाओं से ही फर्टिलाइजर के आयात पर निर्भरता खत्म की
जा सकेगी। उन्होंने प्रबंध निदेशक यूएस अवस्थी की भी प्रशंसा की।
अमूल
दूध की कहानी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पूरी दुनिया के लिए एक
मिसाल है। कृभको और नैफेड के साथ उन्होंने लिज्जत पापड़ की उल्लेखनीय
कहानी को विस्तार से सुनाया। इसके पहले कृभको चेयरमैन चंद्रपाल यादव ने
सहकारी संस्थाओं के साथ होने वाले सरकारी भेदभाव का दबी जुबान से जिक्र
किया था।
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