प्रदेश में लगभग आधे अशासकीय (एडेड) माध्यमिक विद्यालय कार्यवाहक
प्रधानाचार्यों के भरोसे हैं। दस वर्षों से प्रधानाचार्य पद पर भर्ती पूरी
नहीं हुई है। चयन किए जाने की स्थिति यह है कि वर्ष 2011 की भर्ती में छह
मंडल के आवेदक अभी भी प्रतीक्षा में हैं। 2013 के भर्ती विज्ञापन में
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड आवेदन लेकर शांत हो गया। इसके बाद 1453
पदों के लिए नया अधियाचन मिला है, जिस पर निर्णय चयन बोर्ड को लेना है कि
कब भर्ती विज्ञापन निकालेगा।
प्रदेश में 4500 से अधिक एडेड माध्यमिक कालेज हैं, जिसमें से
आधे
से ज्यादा में स्थाई प्रधानाचार्य नहीं हैं। रिक्त पदों पर प्रबंध तंत्र
अपने चहेते को कार्यवाहक प्रधानाचार्य बनाकर अपने ढंग से काम करा रहे हैं।
ऐसी स्थिति में कई कालेजों में प्रवक्ता के बजाए सहायक अध्यापक
प्रधानाचार्य बने बैठे हैं। (एलटी)
अटेवा पेंशन
बचाओ मंच के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. हरि प्रकाश यादव बताते हैं कि स्थाई
भर्ती न होने से कालेजों में पढ़ाई प्रभावित है।कालेज के ही शिक्षक के
कार्यवाहक प्रधानाचार्य होने से खींचतान की स्थिति रहती है। वैसे भी
प्रवक्ता को कम से पांच और सहायक अध्यापक को कक्षा में छह पीरियड़ प्रतिदिन
पढ़ाने होते हैं। इस दशा में कार्यवाहक प्रधानाचार्य या तो शिक्षक के अपने
मूल पद के साथ न्याय नहीं करते या फिर प्रधानाचार्य पद के साथ अन्याय करते
हैं। इससे नुकसान विद्यार्थियों को उठाना पड़ता है। माध्यमिक शिक्षा चयन
बोर्ड से चयनित प्रधानाचार्य जहां हैं, वहां का पठन-पाठन बेहतर है।
इधर, चयन बोर्ड ने 2011 और 2013 में प्रधानाचार्य पद की भर्ती तो निकाली, लेकिन 2011 की भर्ती में छह मंडलों में करीब 400 पदों पर
0 comments:
Post a Comment