आगरा: बेसिक शिक्षा विभाग में दो साल पहले शिक्षकों के समायोजन व उनकी तैनाती में धांधली के आरोपों में तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) और दो शिक्षक विजिलेंस जांच में फंस गए हैं।
शासन
के निर्देश पर विजिलेंस ने अपनी जांच में धांधली व अनियमितता को सही पाया
है। विजिलेंस थाने ने तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र पटेल और दो
शिक्षकों राकेश शर्मा व जियाउल हक हसन कादरी के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य
धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। वर्ष 2019 में परिषदीय विद्यालयों में
शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया को लागू किया गया था। आरोप है कि बेसिक
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने अपने खास लोगों को लाभान्वित करने के लिए
उन्हें नजदीक ब्लाक में आने वाले विद्यालयों में तैनात कर दिया था। वहीं
जिनकी पहुंच नहीं थी ऐसे शिक्षकों को दूरस्थ ब्लाक के विद्यालयों में
समायोजित कर दिया। समायोजन की इस प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायत होने
के बाद जिला समिति ने समायोजन को निरस्त कर दिया था। इसके बावजूद भी इस
दौरान समायोजित हुए शिक्षक मूल तैनाती वाले विद्यालय में नहीं लौटे।
इस
मामले में शिक्षक संगठनों ने विभाग के अधिकारियों पर धांधली के आरोप लगाए
थे। इसकी शिकायत शासन में की थी। जिस पर तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी बरौली
अहीर वीरेंद्र पटेल समेत कई लोगों को निलंबित किया गया था। मामले में शासन
ने धांधली के आरोपों की जांच विजिलेंस को सौंपी थी। विजिलेंस की जांच में
तत्कालीन खंड शिक्षाधिकारी समेत दो शिक्षकों पर आरोप सही साबित हुए हैं।
विजिलेंस की टीम ने जांच के बाद अब वीरेंद्र पटेल एवं शिक्षकों राकेश शर्मा
व जियाउल हक हसन कादरी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है।
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