नई दिल्ली। विश्व बैंक ने सलाह दी है कि देशों को स्कूल खोलने के लिए
पहले व्यापक टीकाकरण किए जाने का इंतजार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि
वैज्ञानिक प्रमाण इस तरफ स्पष्ट संकेत करते हैं कि बच्चों में कोविड-19 के
संक्रमण की आशंका कम है।
विश्व
बैंक की शिक्षा टीम ने दुनियाभर के उन देशों के अनुभव के आधार पर एक
नीतिगत नोट तैयार किया है, जहां स्कूल फिर से खोले जा चुके हैं। इसमें
सुझाव दिया गया है कि एहतियात के साथ स्कूल खोलने से छात्रों, कर्मचारियों व
समाज में संक्रमण फैलने का जोखिम बहुत कम है। क्योंकि, महामारी की चपेट
में आने के एक साल बाद, वायरस और बीमारी दोनों के बारे में अब पर्याप्त
जानकारी है, इसके अलावा संक्रमण के प्रभाव को कम करने के बारे में भी
पर्याप्त जानकारी है। ऐसे में स्कूल बंद करना आखिरी उपायों में शामिल होना
चाहिए। टीका विकसित होने से पहले फिर से स्कूल खोलने के वाले देशों के
अनुभवों को देखते हुए कहा जा सकता है कि स्कूल खोलने के लिए व्यापक टीकाकरण
की प्रतीक्षा करने की जरूरत नहीं, इसके अलावा छात्रों के स्कूल लौटने से
उनका डर भी दूर होगा।
कोविड के कारण दुनिया में 1.6 अरब बच्चे हो गए थे स्कूलों से दूर
नोट
के मुताबिक जहां सरकार व समाज डरते हैं कि स्कूलों को | फिर से खोलने से
संक्रमण फैल सकता है सिर्फ वहीं स्कूल बंद हैं। जबकि, स्कूलों को खोलने से
जुड़े साक्ष्य इस धारणा के उलट हैं। इन देशों को स्कूल बंद रखने के
नुकसानों का आकलन करना चाहिए, क्योंकि इस बात के सुबूत मौजूद हैं कि स्कूल
बंद रखना, स्कूल खोलने से जुड़े जोखिमों से कहीं ज्यादा है। पिछले साल
कोविड के कारण 188 से अधिक देशों में स्कूलों को बंद कर दिया गया, जिससे
1.6 अरब बच्चे स्कूलों से दूर हो गए। उस समय यह ठीक था, क्योंकि तब कोई
महामारी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखता था, लेकिन अब ऐसा नहीं हैं
कि स्कूल बंद रखे जाएं।
छोटे
बच्चों में संक्रमण की संभावना बेहद कम... विश्व बैंक कहता है निगरानी व
अध्ययन से पता चलता है कि वयस्कों और किशोरों की तुलना में, छोटे बच्चे,
विशेष रूप से दस वर्ष से कम के बच्चे, संक्रमण के लिहाज से काफी कम
संवेदनशील हैं। ऐसे में उनमें संक्रमण की संभावना बहुत कम है।
बच्चों का विकास होता है प्रभावित
नोट
में कहा गया है कि स्कूलों को बंद रखना बीमारी का खतरा तो घटाता है, लेकिन
बच्चों की पढ़ाई, मनोसामाजिक स्वास्थ्य और समग्र विकास को खतरे में डालता
है। स्कूल फिर से खोलने का फैसला इन्हें खोलने और बंद रखने के बीच के
नफा-नुकसान की तुलना कर लिया जाना चाहिए। बहरहाल, अब तक के सामने आता है कि
स्कूल बंद रखना ज्यादा नुकसानदेह है। विश्व बैंक "अनुभव से यही के आंकड़ों
के अनुसार, दुनियाभर में 80 फीसदी स्कूल चालू हैं। इनमें से 54% में छात्र
व्यक्तिगत रूप उपस्थित हो रहे हैं। 34% मिश्रित तरीके से चल रहे हैं, जबकि
10% सिर्फ दूरस्थ शिक्षण के लिए खुले हैं।
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