कोरोना
संक्रमण से कुछ राहत मिलने के बाद परिषदीय स्कूलों मेंं पूरी तरह से
कक्षाएं लगने लगी हैं। जब से प्रार्थना का पांचांग लागू हुआ है तब से और
अधिक छात्र-छात्राओं में विद्यालय जाकर पढ़ाई के लिए खासा उत्साहित है,
लेकिन शिक्षकों की लेटलतीफी से बच्चों को दिक्कतें हैं।ग्रामीण इलाकों में
टीचर देर से पहुंचते हैं तो नौनिहालों का मनोबल गिर रहा है। घंटो नौनिहाल
बच्चे विद्यालय खुलने के इंतजार में खड़े रहते हैं।
पड़ोसी
जनपद कानपुर, हमीरपुर, कौशाम्बी, रायबरेली की सीमा के नजदीक वाले स्कूलों
में तैनात शिक्षक शिक्षिकाएं प्रतिदिन अपडाउन करते हैं। जिससे यह लोग समय
पर स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं। सुबह देर से आना और दूसरे पहर जल्दी-जल्दी
जाने की होड़ सी रहती है। अपडाउन करने वाले मास्साबों की दोआबा के चारों ओर
वैन दौड़ती नजर आती है।
विद्यालय खोलने की
जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक या तो स्थानीय शिक्षामित्र को या फिर रसोइयों को
जिम्मेदारी दे देते हैं। नतीजा स्कूल का ताला समय पर न खुलता है और न ही
बंद होता है। सोमवार को प्राथमिक स्कूलों की जमीनी हकीकत देखने के लिए टीम
ने भ्रमण किया तो सुबह विद्यालय खुलने का समय होने के बाद भी ताला लटका
मिला, लेकिन छात्र-छात्राएं मौजूद थे और शिक्षक-शिक्षकाओं का इंतजार कर रहे
थे।
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