लखनऊ : राजकीय कालेजों के बाद अब प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) विद्यालयों को भी संवारा जाएगा। उन विद्यालयों पर विशेष जोर है जिनकी स्थापना के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं और जर्जर अवस्था में है। साथ ही वे जिन विद्यालयों में संसाधनों का अभाव है वहां भी विकास कार्य कराए जा सकेंगे। इस योजना में शर्त यह है कि विद्यालयों को योजना पर खर्च की पहल करनी होगी, वे जितना खर्च करेंगे उतना ही धन सरकार की तरफ से भी दिया जाएगा।
प्रदेश
में इंटरमीडिएट एजूकेशन एक्ट लागू होने के 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं।
उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त 4512 एडेड माध्यमिक कालेज
संचालित हैं। इनमें से बड़ी संख्या में विद्यालयों में मरम्मत कार्य होने
की जरूरत है। अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा आराधना शुक्ला ने बताया कि
सरकार ने प्रोजेक्ट अलंकार के तहत एडेड माध्यमिक विद्यालयों का
जीर्णोद्धार, पुनर्निर्माण के लिए पहली बार 200 करोड़ रुपये की धनराशि
स्वीकृत की है। इसके लिए संबंधित विद्यालय की प्रबंध समिति को पहले
विद्यालय के खाते में कार्य के सापेक्ष धनराशि देनी होगी और इसके बाद उतनी
ही धनराशि अनुदान के रूप में सरकार देगी। इस योजना के तहत 300 से कम छात्र
संख्या वाले विद्यालयों को लाभ नहीं मिल सकेगा। साथ ही छात्र संख्या के
हिसाब से मिलने वाली अनुदान राशि घोषित की गई है। अपर मुख्य सचिव ने बताया
कि इसके लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है।
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता व वित्त एवं लेखाधिकारी माध्यमिक
सदस्य होंगे, जबकि जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य सचिव होंगे।
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