चुनाव में ड्यूटी कटवाने को कर्मचारी तमाम बहाने बनाते हैं। कोई
बीमारी तो कोई पत्नी या परिजनों के बीमार होने का हवाला देता है। सहारनपुर
में ड्यूटी कटवाने के लिए एक अलग ही मामला सामने आया है।
यहां
डिग्री कॉलेज के शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव में लगाई गई थी। शिक्षक पहले से
ही चुनाव ड्यूटी करने में आनाकानी कर रहे थे। शिक्षकों ने लाख हथकंडे
अपनाए, लेकिन उनकी चुनाव से ड्यूटी नहीं कटी। इसके बाद शिक्षकों ने एक राय
होकर योजना बनाई और अपने ही साथी को बतौर निर्दलीय प्रत्याशी पर्चा भरवा
दिया। इसमें 10 शिक्षक प्रस्तावक और 20 शिक्षकों ने खुद को पोलिंग एजेंट
बना लिया।
इसके बाद इन सभी लोगों ने जिला
निर्वाचन अधिकारी और सीडीओ को चुनाव लड़ने का पत्र भेजा। डीएम ने पूरे
मामले की जांच की तो पता चला कि शिक्षक चुनाव ड्यूटी से बचने को ऐसा
कारनामा कर रहे हैं। इसके बाद डीएम ने सभी शिक्षकों को नोटिस भेजकर
कार्रवाई की चेतावनी दी। नोटिस मिलते ही नौकरी पर खतरा मंडराया तो हड़कंप
मच गया। सभी शिक्षकों ने लिखित रूप में माफी मांगी और चुनाव ड्यूटी भी की।
देखते
हैं, प्रशासन कैसे कराता है चुनाव ड्यूटी?चुनाव ड्यूटी को लेकर शिक्षकों
का रवैया पहले से ही उदासीन था। शिक्षकों ने ट्रेनिंग के दौरान ही
प्रशासनिक कर्मचारियों से कह दिया था कि देखते हैं प्रशासन उनसे कैसे चुनाव
में ड्यूटी करवाता है। योजनानुसार शिक्षकों ने अपने साथी को निर्दलीय
प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरवा दिया। हालांकि मामला खुल गया और जांच में
सब साफ हो गया।
सीडीओ विजय कुमार का कहना है कि
चुनाव ड्यूटी को लेकर शिक्षकों ने अपने साथी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप
में पर्चा भरवा दिया ताकि उनकी चुनाव ड्यूटी कट जाए। मामला खुलने पर सभी को
लीगल नोटिस भेजे गए, जिसके बाद सभी ने लिखित रूप से माफी मांगी और चुनाव
ड्यूटी की।
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