नई दिल्ली : उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बनाने सहित छात्रों के विदेश में होने वाले पलायन को थामने के लिए सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत उच्च शिक्षा के लिए छात्रों को अब विदेश जाने की जरूरत नहीं होगी। वे देश में रहकर दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों के साथ पढ़ाई कर सकेंगे।
विश्वविद्यालय
अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसको लेकर प्रस्तावित नियमों को मंजूरी दे दी है।
देश का कोई भी शीर्ष विश्वविद्यालय दुनिया के किसी भी शीर्ष विश्वविद्यालय
के साथ मिलकर साझा कोर्स शुरू कर सकेगा। इसके लिए पहले दोनों
विश्वविद्यालयों को सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करना होगा। कोर्स की
यूजीसी को जानकारी भी देनी होगी। यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने
मंगलवार को रेगुलेशन को मंजूरी देने की जानकारी दी। इसकी सिफारिश नई
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी की गई है। इस नियम के तहत विदेशी
विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भारतीय विश्वविद्यालय तीन तरह से प्रोग्राम
संचालित कर सकेंगे। पहला साझा कार्यक्रम होगा। इसमें दोनों संस्थानों के
बीच एक ऐसा अनुबंध होगा, जिसमें किसी भी संस्थान में पढ़ने वाला छात्र बीच
में कभी भी किसी कोर्स की पढ़ाई किसी भी संस्थान में जाकर कर सकेगा। इस
दौरान दोनों संस्थान कोर्स क्रेडिट एक दूसरे के साथ साझा करेंगे और मान्यता
भी देंगे। हालांकि, इसमें डिग्री उसी संस्थान की मिलेगी, जहां दाखिला लिया
गया होगा। इस नियम का दूसरा अहम कदम ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम है। इसमें
कोई भी शीर्ष भारतीय विश्वविद्यालय किसी भी विदेशी विश्वविद्यालय के साथ
ज्वाइंट कोर्स को संचालित कर सकेगा। इसके लिए दोनों संस्थानों को पहले एक
एमओयू करना होगा। इसके तहत कोर्स के 30 प्रतिशत हिस्से की पढ़ाई विदेशी
विश्वविद्यालयों में होगी। हालांकि, जो डिग्री मिलेगी वह भारतीय संस्थानों
की होगी। साथ ही छात्रों को एक सर्टिफिकेट मिलेगा, जो विदेशी विश्वविद्यालय
की ओर से जारी किया जाएगा। तीसरा प्रोग्राम दोहरे (ड्यूअल) डिग्री का
होगा। इसमें कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय किसी भी शीर्ष विदेशी
विश्वविद्यालय के साथ कोर्स संचालित कर सकेगा। इनमें संबंधित कोर्स के 30
प्रतिशत हिस्से की पढ़ाई विदेशी संस्थानों में होगी। यह नियम दोनों ही
विश्वविद्यालयों पर लागू होगा। यूजीसी कोर्स को मान्यता देगा।
’विदेशी
विश्वविद्यालयों की डिग्री और सर्टिफिकेट देश में ही मिलेंगे ’यूजीसी ने
विदेशी विवि के साथ साझा कोर्स शुरू करने को दी मंजूरी होंगे तीन तरह के कोर्स ’पहला कोर्स में भारतीय और विदेशी संस्थान के बीच
ऐसा अनुबंध होगा, जिसमें छात्र कभी भी किसी भी संस्थान में जाकर पढ़ सकेगा।
’दूसरा कोर्स ज्वाइंट डिग्री प्रोग्राम होगा, इसके तहत 30 फीसद कोर्स की
पढ़ाई विदेशी विश्वविद्यालयों में होगी। डिग्री भारतीय संस्थानों की होगी।
साथ ही सर्टिफिकेट विदेशी विश्वविद्यालय जारी करेगा। ’तीसरा कोर्स दोहरा
डिग्री प्रोग्राम होगा। भारतीय विश्वविद्यालय व विदेशी विश्वविद्यालय साथ
में कोर्स संचालित करेंगे। दोनों संस्थान अलग-अलग डिग्री जारी करेंगे।
नैक रैंकिंग में शीर्ष संस्थानों को ही मिलेगी अनुमति यूजीसी चेयरमैन के
मुताबिक, विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर वही भारतीय विश्वविद्यालय इस
तरह के कोर्स शुरू कर सकते हैं, जो नैक रैंकिंग में शीर्ष पर होंगे। यानी
नैक रैंकिंग में 3.21 अंक हासिल करने वाले विश्वविद्यालयों को विदेशी
विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू की छूट रहेगी। साथ ही इनमें क्यूएस रैंकिंग
और एनआइआरएफ रैंकिंग में शीर्ष सौ संस्थान भी पात्र होंगे। वहीं सिर्फ
उन्हीं विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ ही वे यह साझा प्रोग्राम चला सकेंगे,
जो क्यूएस और टाइम रैंकिंग में शीर्ष पांच सौ संस्थानों में होंगे। हर साल
देश के लाखों छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाते हैं।
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