लखनऊ ]। बेसिक शिक्षा परिषद के 1.58 लाख विद्यालयों में पढ़ने वाले
छात्र-छात्राओं को अब नई किताबें मिलने का रास्ता साफ हो गया है। किताबें
छापने वाली कंपनी को जीएसटी देने का नियम बदलने पर कैबिनेट ने मुहर लगा दी
है। इसी माह के अंत तक करीब 14 करोड़ किताबें छापने का टेंडर कराने की
तैयारी है और जुलाई में बच्चों को किताबें वितरित कराने की योजना बन रही
है।
नया
शैक्षिक सत्र वैसे तो पहली अप्रैल को ही शुरू हो चुका है लेकिन, परिषदीय
प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले और नए प्रवेश पाने
वाले छात्र-छात्राओं के लिए किताबों का इंतजाम नहीं हो सका था, अगली
कक्षाओं में पहुंचने वाले बच्चों से पुरानी किताबें जमा करके जैसे-तैसे
पढ़ाई कराई जा रही थी।
बेसिक शिक्षा विभाग को
किताबों का टेंडर दिसंबर 2021 या फिर जनवरी में ही कराना था, उस समय
प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से टेंडर
नहीं हो सका। इसलिए नई सरकार बनने की राह देखी जा रही थी, साथ ही पुस्तकों
का प्रकाशन करने वाली कंपनी को जीएसटी भुगतान में अड़चन आ रही थी। कैबिनेट
बाई सर्कुलेशन में जीएसटी का प्रकरण सुलझ गया है।
बेसिक
शिक्षा विभाग के अनुसार 18 अप्रैल को इस संबंध में बैठक हो रही है, उसमें
टेंडर कराने व अन्य कार्यक्रम पर मुहर लगेगी। इस माह के अंत तक टेंडर
प्रक्रिया पूरी कराने की तैयारी है। पिछले सत्र में परिषदीय स्कूलों में
1.83 करोड़ छात्र-छात्राएं पढ़ रहे थे और उस समय 13.5 करोड़ पुस्तकें
प्रकाशित हुई थी।
इस बार मुख्यमंत्री योगी
आदित्यनाथ ने दो करोड़ नामांकन का लक्ष्य तय किया है, ऐसे में करीब 14
करोड़ किताबों का प्रकाशन कराने की योजना बन रही है। अफसरों का कहना है कि
टेंडर होने के बाद दो माह में किताबें छप जाएंगी। ऐसे में गर्मी की छुट्टी
के बाद जुलाई में स्कूल खुलने पर पुस्तकों का वितरण कराएंगे।
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