शिक्षा मित्रों की तरह हमारा भी हो समायोजन
जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम (डीपीईपी) के तहत रखे
गए वैकल्पिक शिक्षा आचार्य, अनुदेशक और मदरसा अनुदेशकों ने भी शिक्षा
मित्रों की तरह समायोजित करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश
वैकल्पिक शिक्षा आचार्य-अनुदेशक एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को
ज्ञापन देकर कहा है कि उनके समायोजन संबंधी प्रस्ताव सचिव बेसिक शिक्षा
परिषद संजय सिन्हा ने महीनों पहले भेजा था, लेकिन उनके बारे में अभी तक कोई
निर्णय नहीं किया गया है। प्रदेश में मौजूदा समय 11,500 आचार्य व अनुदेशक हैं। एसोसिएशन के प्रदेश संरक्षक जहीर खां ने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 1999 में डीपीईपी कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसका
मुख्य मकसद सरकारी स्कूल न होने वाले स्थानों पर केंद्र बनाकर बच्चों को
शिक्षित करना था। इसके लिए हाईस्कूल पास युवक और युवतियों को ग्राम शिक्षा
समिति के माध्यम से वैकल्पिक शिक्षा आचार्य व अनुदेशकों को रखा गया। इसी
तरह मदरसा में उर्दू, अरबी पढ़ाने वाले बच्चों को हिंदी की शिक्षा देने के
लिए मदरसा अनुदेशकों का चयन किया गया। वर्ष 2005 में डीपीईपी योजना को
सर्व शिक्षा अभियान योजना में विलय कर दिया गया। सबकुछ ठीकठाक चल
रहा था पर केंद्र ने वर्ष 2009 में वैकल्पिक शिक्षा अनुदेशकों का मानदेय
रोक दिया। 31 मार्च 2009 को केंद्र बंद कर दिए गए। इसके बाद वैकल्पिक शिक्षा अनुदेशक बेकार हो गए। पर मदरसों में बच्चों को हिंदी पढ़ाने का काम वर्ष 2012 में बंद किया गया।
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