परिषदीय स्कूलों में नियुक्त होने वाले शिक्षकों की जिम्मेदारी बढ़ाई
जा रही है। उन्हें अब पढ़ाने के साथ बच्चों के दाखिले पर भी ध्यान देना
होगा। नियुक्ति पत्र देने के साथ उन्हें इस बारे में बेसिक शिक्षा
अधिकारी निर्देश देंगे ताकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम का कड़ाई से पालन
कराया जा सके। बेसिक शिक्षा विभाग चाहता है कि जल्द से जल्द शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली जाए।
होगी एक लाख से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती
प्रदेश में इस समय प्राइमरी स्कूलों में बीएड वालों से 72,825 व
बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी से 10,000 तथा उच्च प्राइमरी में गणित-विज्ञान के
29,334 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त कर टीईटी पास करने वालों के लिए 15,000 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। उत्तर
प्रदेश अध्यापक सेवा नियमावली के मुताबिक नव नियुक्त शिक्षकों को ग्रामीण
क्षेत्र के सुदूरवर्ती इलाकों में तैनाती देने की व्यवस्था है।
ये एक बड़ी समस्या
.उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू है। इसके अनुसार 6
से 14 वर्ष तक के बच्चों की शिक्षा अनिवार्य है। इसके बाद भी ग्रामीण
क्षेत्रों के स्कूलों में बच्चों की संख्या नाम मात्र की होती है। इसलिए
बेसिक शिक्षा विभाग चाहता है कि प्राइमरी और उच्च प्राइमरी स्कूलों में
नियुक्त होने वाले नए शिक्षकों को पढ़ाने के साथ बच्चों के दाखिले की भी
जिम्मेदारी दी जाए।
अधिनियम को सार्थक बनाना उद्देश्य
इसमें शिक्षकों को घर-घर जाकर बच्चों का दाखिला बढ़ाना होगा। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि दाखिला लेने वाला कोई भी बच्चा बीच में स्कूल छोड़कर न जाए। बेसिक शिक्षा विभाग का मानना है कि इससे स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति तो बढ़ेगी ही साथ ही शिक्षा का अधिकार अधिनियम भी सार्थक होगा।
New Source - Amar Ujala
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