12 September, 2015

शिक्षक भर्ती के लिए नजीर होगा हाईकोर्ट का फैसला

 प्रदेश में शिक्षा मित्रों के समायोजन के लिए शनिवार को सुनाया जाने वाला फैसला शिक्षकों की भर्ती को लेकर नजीर साबित होगा। सरकार यदि इस मुकदमे में जीत जाती है तो भी, नहीं जीतती है तो भी। अदालत न सिर्फ समायोजन के संबंध में निर्णय करेगी बल्कि इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारों की सीमा रेखा भी तय होगी। यही वजह है कि सरकार से जुड़े लोगों में इस फैसले को लेकर अधिक बेचैनी है। प्रदेश में शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापकों के रूप में समायोजन भर्तियों के नजरिए से अखिलेश सरकार का सबसे बड़ा फैसला है। इससे एक लाख 72 हजार सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। एक लाख 31 हजार को तो सरकार समायोजित कर चुकी है जबकि शेष उम्मीद लगाए बैठे थे। सरकार के इस फैसले का सियासी नजरिए से भी काफी महत्व था क्योंकि इसके जरिए वह अपनी रोजगारपरक सरकार की छवि को मजबूती प्रदान करती। अब यह मंशा हाईकोर्ट के फैसले की मोहताज है। यह सिर्फ संयोग ही नहीं कि प्राथमिक शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने की राज्य सरकार की हर कोशिश विवादों में फंसती रही है। 72 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती भी लगातार विवादों में रही। इसके अलावा 29 हजार गणित विज्ञान शिक्षकों की भर्ती का मामला भी अदालत में है। विधि के जानकारों की मानें तो इसका प्रमुख कारण शासकीय स्तर पर किसी भी भर्ती के पहले पर्याप्त स्तर पर होमवर्क न किया जाना है। शिक्षा मित्रों के समायोजन का फैसला करते समय भी इस बात की अनदेखी की गई कि आगे चलकर राष्ट्रीय स्तर की गाइडलाइन इसके आड़े आ सकती है। राज्य में अनिवार्य शिक्षा का कानून लागू होने के बाद ही प्राथमिक शिक्षा को बदहाली से बाहर निकालने की मुहिम शुरू जरूर हुई है लेकिन इसके लिए निर्धारित नियमों की अनदेखी करने से ही विवाद खड़े हुए। यह भी एक तथ्य है कि प्रदेश में जितने शिक्षा मित्र हैं, उनमें एक लाख 24 हजार स्नातक हैं। 23 हजार इंटर पास शिक्षा मित्र बनाए गए हैं। इनका चयन ग्राम शिक्षा समितियों के जरिए हुआ है जिसका अध्यक्ष ग्राम प्रधान होता है। 
 News Source-Dainik Jagran

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