मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने शिक्षामित्रों के मामले में सुप्रीम कोर्ट
जाने पर अपनी राय दे दी है। इसके साथ ही उन्होंने अधिकारियों,
जनप्रतिनिधियों व मंत्रियों के बच्चों की शिक्षा परिषदीय स्कूलों में
अनिवार्य किए जाने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर भी सुप्रीम कोर्ट जाने की
राय दी है।
राज्य सरकार जल्द ही दोनों मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में
विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल कर सकती है। उधर, ने सहायक अध्यापक पद से समायोजन रद्द होने वाले शिक्षामित्रों को वेतन देने
के संबंध में वित्त विभाग से अनुमति मांगी है।
राज्य सरकार ने को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण देकर सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया था।
हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था समायोजन
हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की रिपोर्ट के आधार पर
इनका समायोजन रद्द कर दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश के
खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करने के संबंध में न्याय विभाग से
राय मांगी थी। न्याय विभाग ने इस पर मुख्य स्थायी अधिवक्ता से राय लेने का
सुझाव दिया था।
वहीं, बाराबंकी जिले में प्राथमिक शिक्षामित्र संघ
के प्रतिनिधि मंडल ने बीएसए से भेंट की। जिलाध्यक्ष विनोद वर्मा ने बताया
कि दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के दौरान करीब एक लाख पचास हजार
शिक्षामित्र मौजूद रहे।
इस दौरान एनसीटीई के सौंपे गए ज्ञापन और उधर
से मिले आश्वासन के विषय में भी जानकारी दी। एनसीटीई ने कहा कि राज्य
सरकार ने जो प्रस्ताव भेजा है उस पर अनुमति दी जाएगी।
सांसद वरुण गांधी भी शिक्षामित्रों के समर्थन में धरना स्थल पर आए थे। इस
मौके पर अनिल शर्मा, राम शंकर राठौर, राजवीर सिंह, धर्मेंद्र वर्मा, रोहित
त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।
News Source-Amar Ujala
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