राज्य सरकार ने सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित शिक्षामित्रों को पूरा वेतन देने का फैसला किया है। इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को जरूरी तैयारियां कर लेने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, इसकी औपचारिक घोषणा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की प्रति मिलने के बाद की जाएगी। गौरतलब है कि गत 12 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों के सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन को अवैध करार दे दिया था। तब तक 1.72 लाख शिक्षामित्रों में से 1.38 लाख शिक्षामित्रों के समायोजन की कार्यवाही पूरी हो चुकी थी। इसके बाद शासन ने शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक का वेतन देने पर रोक लगा दी थी। पहले बैच में समायोजित 58 हजार शिक्षामित्रों को एक सितंबर से वेतन नहीं मिला, जबकि समायोजित हो चुके बाकी शिक्षामित्रों को अप्रैल से कोई भुगतान नहीं किया गया है। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार के साथ-साथ शिक्षामित्र और उनके संगठन सुप्रीम कोर्ट चले गए थे, जहां से सोमवार को आए फैसले में हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे मिल गया है। इसके बाद राज्य सरकार ने महाधिवक्ता और कानून के अन्य जानकारों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर राय ली। सभी का कहना था कि स्टे मिल जाने से 12 सितंबर के पहले की स्थिति बहाल करने में कोई दिक्कत नहीं है। इसे देखते हुए उच्च स्तर पर निर्णय लिया गया है कि जैसे ही सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जजमेंट अपलोड होगा, उस पर शिक्षा विभाग को लिखित में कानूनी राय दे दी जाएगी। चूंकि, यह कानूनी राय मौखिक रूप से दी गई राय से अलग नहीं होगी, इसलिए शिक्षा विभाग को भुगतान के बाबत जरूरी तैयारियां कर लेने को कहा गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी। उस दिन सिर्फ सभी पक्षों को सुने जाने की संभावना है। शासन के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि भले ही शिक्षामित्रों की दिवाली आर्थिक तंगी में मनी हो, लेकिन स्टे मिल जाने से उनकी होली अच्छे से मन सकेगी।
News Source - Amar Ujala
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